Kaushambi Waqf News: लोकसभा में वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संशोधन बिल पेश होने के बाद देशभर में वक्फ को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इन सब के बीच उत्तर प्रदेश सरकार की वक्फ बोर्ड की जमीन पर टेढ़ी नजर है. कौशाम्बी कलेक्ट्रेट  ने वक्फ बोर्ड के जमीन पर बड़ी कार्रवाई की है. कौशाम्बी कलेक्ट्रेट ने एडीएम न्यायिक कोर्ट से वक्फ बोर्ड की जमीन का पूरा ब्योरा मांगा है.


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क्या है पूरा मामला
दरअसल, वक्फ बोर्ड के नाम से कौशाम्बी में बेशकीमती जमीन है. इसी जमीन को लेकर कौशाम्बी के कड़ा धाम में 96 बीघा जमीन का मामला 1950 से कोर्ट में चल रहा था, लेकिन इसका समाधान नहीं हो रहा था. फिर मामला तत्कालीन एडीएम न्यायिक डॉ. विश्राम की कोर्ट में चला गया. इसी दौरान एक साल तक दोनों पक्ष के बीच बहस हुई और वक्फ बोर्ड से 96 बीघा जमीन वापस ले ली गई. यह जमीन सरकार के कब्जे में चला गया.


जमीन पर कब्जे के बाद अधिकारियों ने दूसरे गांवों की जमीन की जांच शुरू की
अब जब पूरे राज्य में कार्रवाई शुरू हुई तो तत्कालीन एडीएम न्यायिक की कोर्ट में कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया है. शासकीय अधिवक्ता ने छह बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए शासन को सुझाव भेजे. यह सुझाव स्वीकार कर लिए गए हैं. कड़ा धाम की 96 बीघा जमीन सरकार के कब्जे में जाने के बाद कौशाम्बी के अधिकारी दूसरे गांवों की जमीन की जांच कर रहे हैं.


इन जमीनों की जा रही है जांच
वक्फ बोर्ड को जमीन देने के नियम-कानून अलग हैं. अगर नियम के मुताबिक जमीन ली गई है, तो वह वक्फ बोर्ड के पास ही रहेगी. अगर नियम विरुद्ध जमीन ली गई है, तो अब जिला प्रशासन उस जमीन को अपने कब्जे में लेगा. सिराथू तहसील के रूपनारायणपुर गोरियों, नारायणपुर बंगाली, त्रिलोकपुर गांवों में वक्फ बोर्ड की जमीन है. इनकी जांच की जा रही है.


सरकारी वकली ने क्या कहा?
सरकारी वकील (राजस्व) शिवमूर्ति द्विवेदी ने बताया कि कड़ा धाम में वक्फ बोर्ड 96 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा कर रहा था. तत्कालीन एडीएम न्यायिक के नेतृत्व में विस्तृत जांच कराई गई. हर बिंदु का बारीकी से अध्ययन किया गया. इसके बाद सभी सबूत कोर्ट में पेश किए गए. कोर्ट ने बोर्ड से 96 बीघा जमीन वापस लेकर सरकार को दे दी गई.


सबूत मिले तो की जाएगी कार्रवाई
कौशांबी के जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने बताया कि 96 बीघा जमीन के मामले में की गई कार्रवाई बेहद सराहनीय है. कोर्ट ने सभी बिंदुओं का बारीकी से जांच करने और भौतिक सत्यापन करने के बाद कार्रवाई की है. दूसरे चल रहे मामलों में भी जांच कराई जाएगी. जांच के बाद कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत मिले तो कार्रवाई की जाएगी.