लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक सरकारी स्कूल में छात्रों द्वारा नमाज पढ़ने पर उस स्कूल की प्रींसिपल को निलंबित कर दिया गया है, जबकि दो अन्य महिला शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.


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Zee Salaam  इसके साथ ही लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर स्कूल में जय श्री राम के नारे लगाना और सरस्वती की मूर्ति लगाना ठीक है, तो फिर नमाज पर पाबंदी क्यों है ? अगर ये नियमों के खिलाफ है, तो फिर स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में हर तरह की धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए.



यह मामला लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके का है. बीते शुक्रवार को यहां के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के पीछे के अहाते में कुछ छात्र नमाज पढ़ते हुए पाए गए थे. नमाज का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों के कुछ लोगों ने इसपर ऐतराज जताया था और शिक्षक से इसे रोकने की मांग की थी. उन लोगों ने स्कूल में प्रदर्शन भी किया. बताया जा रहा है कि स्कूल का वह हिस्सा नमाज पढ़ने के लिए ही छात्रों को दिया गया है.. वहां दिन में अक्सर छात्र नमाज पढ़ते हैं. अधिकारियों के मुताबिक इस सरकारी स्कूल में कक्षा 1-5 तक के अधिकांश छात्र मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.


हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद लखनऊ बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीरा यादव को निलंबित कर दिया है, और दो अन्य शिक्षकों ममता मिश्रा और तहजीब फातिमा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं. अरुण कुमार ने बताया कि सात-आठ छात्र स्कूल में नमाज पढ़ रहे थे जो स्कूल परिसर में नहीं होनी चाहिए थीं.
गौरतलब है कि इससे पहले गाजियाबाद के एक शिक्षण संस्थान में एक प्रोग्राम के दौरान मंच में छात्र द्वारा जय श्री राम का नारा लगाये जाने के बाद उसे मंत्र से उतार दिया गया था. इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने इसके विरोध में बवाल मचा दिया और अंत में आरोपी शिक्षक को सस्पेंड कर दिया गया.


इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर स्कूलों में जय श्री राम का नारा, मां सरस्वती की मूर्ति, उसकी तस्वीर और सरस्वती वंदना बुरा नहीं है, तो नमाज पढ़ना अपराध कैसे हो सकता है ? नियम और कानून दो समुदायों के लिए अलग-अलग कैसे हो सकते हैं ? 


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