Uttarakhan Politics: खाने में कथित तौर पर थूक मिलाने को लेकर देशभर में काफी हंगामा मचा हुआ है. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में इसको लेकर काफी चर्चा हो रही है. इस बीच त्योहारी सीजन को देखते हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को लेकर गृह विभाग की बैठक की है और खाने में कथित तौर पर थूकने के खिलाफ कानून लाने के संकेत भी दिए हैं. इसके बाद देश में फिल्म गर्म हो गई. कई राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि सरकार एक खास समुदाय को टारगेट कर रही है.


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मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार - शम्स अजीज 
राजनीतिक एक्सपर्ट शम्स अजीज का कहना है कि उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड में भी अपराधियों और मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों द्वारा खाने-पीने की चीजों में थूक मिलाने की घटनाओं को 'थूक जिहाद' का नाम देकर इस त्योहारी सीजन में मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का एक तरह से आधिकारिक ऐलान किया जा रहा है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें आरोपी दूसरे समुदाय से आता है, लेकिन ऐसी घटनाओं को तूल देकर एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. इससे साफ पता चलता है कि कुछ ग्रुप एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं, इससे कुछ राजनीतिक लोगों को फायदा होता है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, हाल के दिनों में उत्तराखंड में कुछ जगहों पर खाने में थूक मिलाने का मामला सामने आया था. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.  जिसके बाद लोगों में एक समुदाय के खिलाफ काफी गुस्सा है. एक खास समुदाय के लोगों पर खाने में थूक मिलाने का इल्जाम है. 


कानून बनाने का किया जिक्र
इस बीच लोगों की नाराजगी देखते हुए राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं त्योहारी सीजन को देखते हुए गृह डिपार्टमेंट की बैठक लेते हुए मुख्यमंत्री ने सभी जिला अधिकारियों को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए, खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जिस तरह से हाल ही में कुछ घटनाएं देखने को मिली हैं, उन्होंने जिला अधिकारियों के साथ खाद्य विभाग के अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सीएम ने इसके खिलाफ कानून लाने की भी संकेत दिए हैं.


हरीश रावत ने क्या कहा?
इसके साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत का भी खाने में थूक मिलाने वाले मामले पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं वो मानसिक रूप से बीमार हैं और वो नीच हैं. खाने पीने की चीजों में थूक रहे हैं, उन्हें कोई माफ नहीं करेगा. ऐसे लोगों को 'थूक जिहाद' कहना ठीक नहीं है. ऐसे लोग मानसिक अपराधी हैं. ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ ही रखना चाहिए, लेकिन ऐसे मामलों में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करना ठीक नहीं है.


लव जिहाद का क्यों किया जिक्र
उन्होंने कहा कि इससे पहले लव जिहाद का मामला भी उठा था. जिससे ऐसा लगा कि उत्तराखंड में सिर्फ लव हो रहा है. इससे उत्तराखंड बदनाम हुआ. जब जमीन जिहाद से पर्दा उठा तो और भी बीजेपी नेताओं के कब्जे पाए गए, जिसके बाद सरकार ने अभियान से हाथ पीछे खींच लिए. सरकार को सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा देना चाहिए, सरकार को नकारात्मक पहलुओं को छोड़ देना चाहिए.