उत्तराखंड: अवैध मदरसे पर सरकार का फिर चलेगा चाबुक, मदरसा बोर्ड करने जा रहा ये काम
Uttarakhand News: उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रहे मदरसों के खिलाफ सरकार सख्त रुख अपनाया है. पुष्कर सिंह धामी ने सीएम पद की कुर्सी संभालने के बाद कई मदरसों पर कार्रवाई की है. अब मदरसा बोर्ड ने बोर्ड ने सख्त निर्देश दिया है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में अवैध मदरसों पर लगातार कार्रवाई सुर्खियों बनी हुई है. अब सरकार ने गैर-कानूनी तरीके चल रहे मदरसों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने बुधवार को कहा कि जिन मदरसों में बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है उन्हें बंद किया जाएगा.
दरअसल, मदरसा बोर्ड ने गैर-कानूनी तरीके चल रहे मदरसों पर कार्रवाई करने की योजना बनाई है. हाल ही में देहरादून में राज्य बाल आयोग ( State Children's Commission ) की टीम ने आजाद कॉलोनी स्थित एक मदरसे का औचक निरीक्षण किया था. जांच में पता चला कि मदरसे का रेजिस्ट्रेशन नहीं था और वहां बच्चों को ज्यों-त्यों रखा गया था.
मदरसा बोर्ड ने क्या कहा?
मुफ्ती शमून कासमी ने साफ किया कि जिन मदरसों में बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है, वे सभी गैर-कानूनी माने जाएंगे, चाहे वे रजिस्टर्ड हों या न हों. उन्होंने कहा कि अगर किसी मदरसे में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो उन्हें कॉन्स्टिट्यूशन और कानून के मुताबिक काम करना होगा. मुफ्ती कासमी ने राज्य में 416 रेजिस्टर्ड मदरसों की जानकारी दी और अनुमान है कि करीब इतने ही अनरेजिस्टर्ड मदरसे भी हो सकते हैं.
मौलाना ने धामी सरकार की तरीफ की
मुफ्ती कासमी ने जोर देकर कहा कि यह पहली बार है जब स्टेट गवर्नमेंट बिना किसी भेदभाव के काम कर रही है. इस सरकार में न तो कोई मजहबी भेदभाव है और न ही किसी खास समुदाय के प्रति कोई पूर्वाग्रह. सरकार का टारगेट सभी नागरिकों को एक समान अवसर देना है, जिसमें अनाज का वितरण, आयुष्मान स्कीम्स , और कच्चे मकान से लेकर पक्के मकान तक सभी जरूरी सुविधाएं शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ( Puskar Singh Dhami ) की अगुआई वाली में एनसीईआरटी सिलेबस को शामिल किया गया है, ताकि गरीब से लेकर अमीर तक सभी बच्चों को एजुकेशन मिल सके.
इस वजह से मदरसे को किया जा सरता है ब्लैकलिस्ट
मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि अगर किसी मदरसे में कोई भी अनियमितता पाई जाती है, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह कदम बच्चों के अधिकारों की सिक्योरिटी और एजुकेशन की गुणवत्ता को यकीनी बनाने के लिए उठाया गया है.