पिथौरागढ़ः उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल सीमा से सटे झूलाघाट (Jhoolaghat) कस्बे में उस वक्त तनाव का मौहाल बन गया, जब दो नौजवानों ने एक मुस्लिम परिवार को नमाज अदा (Stopped for prayin Namaz) करने से कथित तौर पर रोकने की कोशिश की. हालांकि, पुलिस और इलाके के सम्मानित नागरिकों ने वक्त पर इस मामले में दखल देकर हालात को मजीद बिगड़ने से रोक दिया.


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 पुलिस ने बताया कि नौजवानों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है. तकरीबन 50 सालों से झूलाघाट कस्बे में रहने वाले अय्यूब ने कहा, “हमारे परिवार के 6 सदस्य 18 मार्च को मेरे घर के बाहर नमाज पढ़ने के लिए जमा हुए थे. तभी दो नौजवान वहां आया और हमारे नमाज पढ़ने व टोपी पहनने पर ऐतराज जताया. इसके बाद हमने मकामी पुलिस को इसकी खबर दी. इसके बाद पुलिस ने हमें और उन दोनों नौजवानों को अगले दिन थाने बुलाया और उन्हें भविष्य में ऐसी हरकतों न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया.’’ 
झूलाघाट के थाना प्रभारी सुरेश कंबोज ने बताया कि इस संवेदनशील सीमावर्ती शहर में ऐसे सांप्रदायिक तत्वों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, “हमने आरोपी लड़कों को भविष्य में इस तरह की हरकतों के प्रति आगाह किया है और शहर के हालात अभी सामान्य है.” 


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अयूब ने कहा कि झूलाघाट में मुस्लिम समुदाय के सिर्फ 12 लोग रहते हैं. ये सभी करीब 50 साल पहले कस्बे में बसे हुए हैं. अयूब ने कहा कि झूलाघाट के मुसलमान शहर के बाकी निवासियों के साथ पूरी तरह मिल जुलकर रहते हैं और पिछली दो पीढ़ियों से अमन और शांति से रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे महत्वपूर्ण सामाजिक व धार्मिक मौकों पर दूसरे समुदाय के लोगों को अपने घरों में दावत पर भी बुलाते हैं. इसके बावजूद इस तरह की हरकत उन्हें हैरत में डाल देती है. 


गौरतलब है कि उत्तराखंड में हाल के दिनों में दक्षिणपंथी हिंदू समूह मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं. हलद्वानी में कथित अवैध मदरसों को तोड़ने के बाद भड़के दंगों में 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है और सैंकड़ों लोग बेघर हैं. वहीं, पिथोड़ागढ़ में ही 91 मुस्लिम कारोबारियों के दुकानों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर उन्हें इलाका छोड़ने का आदेश दिया जा चुका है.