दुनिया हैरान; औरतों को पार्क में जाने पर रोक, लेकिन टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा तालिबान
Afghanistan News: अफगानिस्तान के काबुल की एक क्लास में लगभग 30 लोग बैठे हैं, जो टूरिस्ट और मेजबानी प्रोफेशनल को ट्रेनिंग देने वाले तालिबान संचालित एक संस्थान के पहले बैच का हिस्सा है.
Afghanistan News: आर्थिक तंगी से जूझ रहे अफगानिस्तान के काबुल की एक क्लास में लगभग 30 लोग बैठे हैं, जो टूरिस्ट और मेजबानी प्रोफेशनल को ट्रेनिंग देने वाले तालिबान संचालित एक संस्थान के पहले बैच का हिस्सा है. इन में कई अलग-अलग तरह के लोग ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसमें ट्रेनिंग ले रहे अलग-अलग उम्र के पढ़े-लिखे और प्रोफेशनल हैं, लेकिन सभी मर्द हैं और उन्हें पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी प्रोफेशन की कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, ये सभी अफगानिस्तान के एक अलग पक्ष को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक हैं और तालिबान खुशी से उनकी मदद कर रहा है. वही, दूसरी तरफ तालिबान महिलाओं के छठी क्लास से आगे पढ़ने पर रोक दिया है.
वैश्विक मंच पर अलग-थलग है तालिबान
अफगानिस्तान के शासक तालिबान वैश्विक मंच पर अलग-थलग हैं और उसकी काफी हद तक वजह महिलाओं और लड़कियों पर उनकी पाबंदियां हैं. मुल्क की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है, बुनियादी ढांचा बदहाल हालात में है. इसके साथ ही गरीबी चहुंओर है. उसके बाद भी विदेशी मुल्क में आते हैं, क्योंकि हिंसा काफी घट गई है और दुबई जैसे प्रमुख केंद्रों से उड़ान संपर्क बढ़ गया है.
वैसे टूरिस्टों की संख्या ज्यादा नहीं है, कभी रही भी नहीं, लेकिन अफगान पर्यटन को लेकर चर्चा जरूर रहती है. साल 2021 में अफगानिस्तान में 691 विदेशी टूरिस्ट आए थे. साल 2022 में उनकी संख्या बढ़कर 2300 और पिछले साल 7000 हो गई. काबुल में पर्यटन निदेशालय के प्रमुख मोहम्मद सईद ने कहा कि सबसे बड़ा विदेशी आंगुतक बाजार चीन है और उसकी वजह उसकी इस देश से नजदीकी और बड़ी जनसंख्या है.
तालिबान को कोई देश नहीं दिया है मान्यता
सईद ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे कहा कि वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते हैं, क्योंकि वह खतरनाक है और उन पर हमला हो जाता है. जापानियों ने भी मुझसे यही बात कही. यह हमारे लिए अच्छी बात है, लेकिन कुछ कमियां भी हैं. वीजा संबंधी दिक्कते हैं. कई देशों ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान के साथ संबंध खत्म कर लिए. कोई भी देश तालिबान को देश के वैध शासक के रूप में मान्यता नहीं देता है."