Bangladesh: बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान और 48 अन्य को 2004 में एक राजनीतिक रैली पर हुए घातक ग्रेनेड हमले के मामले में अपने फैसले को पलटते हुए बरी कर दिया है. यह फैसला ऐसे अहम वक्त पर आया है, जब दक्षिण एशियाई देश राजनीतिक तनाव से जूझ रहा है. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में लगातार हिंसा जारी है और सैंकड़ों लोग मारे जा चुके हैं.


बांग्लादेश हाई कोर्ट का बड़ा आदेश


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रहमान लंदन में स्व-निर्वासन के दौरान ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर काम करते हैं, और अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे बांग्लादेश के अगले नेता बन सकते हैं. 


रहमान और 48 अन्य को 2018 में हसीना के समर्थकों के जरिए की गई एक रैली को निशाना बनाकर किए गए हमले में दोषी पाया गया था, जो उस समय विपक्ष का नेतृत्व कर रही थीं, जिसमें दो दर्जन लोग मारे गए थे और लगभग 300 अन्य घायल हो गए थे. एक अदालत ने उनमें से 19 को मौत की सजा सुनाई, जबकि रहमान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.


49 लोगों को किया गया रिहा


प्रतिवादियों के जरिए दायर अपील के बाद, दो जजों की पैनल ने रविवार को सभी 49 लोगों के लिए 2018 के पूरे फैसले को रद्द कर दिया. बचाव पक्ष के वकील शिशिर मोनिर ने संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने मुकदमे और फैसले को "अवैध" घोषित कर दिया है. जिया, जिन्होंने 2001-2006 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में देश पर शासन किया, और हसीना देश की सबसे शक्तिशाली राजनीतिज्ञ और पुराने राइवल हैं.


हसीना की पार्टी ने की निंदा


नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस हसीना के जाने के बाद से देश के अंतरिम नेता हैं. लेकिन मुल्क के हालात नॉर्मल नहीं हैं. मुल्क स्टेबल होने की कोशिश कर रहा है. हसीना की अवामी लीग पार्टी ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह "यूनुस की कंगारू अदालत" नहीं है और बांग्लादेश के लोग ही हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाएंगे.