Bangladesh News: बांग्लादेश में पूर्व सीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद युनूय एक-एक कर पुराने फैसले बदल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने देश में तख्तापलट होने के बाद अब तक का सबसे बड़ा फैसला सुनाया है. बांग्लादेश की शीर्ष अदालत  गुरुवार को हाईकोर्ट के उस अहम फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के लोकप्रिय "जॉय बांग्ला" (Joy Bangla) को मुल्क का राष्ट्रीय नारा ( National Slogan ) घोषित किया गया था.


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बांग्लादेश में छात्रों का रिजर्वेशन विरोधी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान रहमान की बेटी व पूर्व पीएम शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा था. अवामी लीग की नेता शेख हसीना इसी साल 5 अगस्त को भारत आ गई थीं और तब वो यहीं हैं. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले हाल ही में देश के केंद्रीय बैंक ने करेंसी से रहमान की तस्वीर हटाने का फैसला किया है.


बांगलादेश की सत्ता पर 15 साल से काबिज शेख हसीना सरकार के बाद नोबेल पुरुस्कार विजेता मुहम्मद युनूस की अगुआई में बनी अंतरिम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के इस फैसले को निलंबित करने की मांग की और 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक अपील याचिका दायर कर  10 मार्च, 2020 के हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें उन्होंने जॉय बांग्ला राष्ट्रीय नारा घोषित किया था.


चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस सैयद रेफात अहमद की अगुआई वाली चार सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को इस आधार पर आदेश पारित किया कि "राष्ट्रीय नारा" सरकार के नीतिगत निर्णय का मामला है और ज्यूडिशियरी इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.


समाचार पत्र डेली स्टार ने बुधवार को कहा कि चीफ जस्टिस सैयद रेफात अहमद की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सरकार द्वारा दायर अपील की अनुमति याचिका के बाद यह आदेश पारित किया.


अंतरिम सरकार ने किए कई बड़े बदलाव
‘जॉय बांग्ला’ को देश के राष्ट्रीय नारे के रूप में पूर्व पीएम शेख हसीना की अगुआई वाली सरकार  के दौरान घोषित किया गया. सरकार ने तब आदेश दिया कि नारे का इस्तेमाल सभी राज्य समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों की सभाओं में किया जाए. शेख हीसना की कैबिनेट ने इसे राष्ट्रीय नारे के रूप में 20 फरवरी, 2022 को मान्यता दी थी और अवामी लीग सरकार ने 2 मार्च, 2022 को इस संबंध में एक गजट अधिसूचना जारी की थी. हालांकि, अब इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.


इससे पहले 1 दिसंबर को देश के शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें 15 अगस्त को "राष्ट्रीय शोक दिवस" और "सार्वजनिक अवकाश" को सही ठहराया गया था. 13 अगस्त को अंतरिम सरकार की सलाहकार काउंसिल ने यह फैसला लिया कि 15 अगस्त को अब देश में कोई "राष्ट्रीय अवकाश नहीं" होगा.