Pakistan News: पाकिस्तान के चर्च के धर्मसभा के अध्यक्ष बिशप रेवरेंड आज़ाद मार्शल ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को एक चिट्ठी लिखकर विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक द्वारा देश में राजकीय अतिथि के रूप में अपनी हालिया यात्रा के दौरान ईसाई समुदाय और उनकी मान्यताओं के बारे में की गई टिप्पणियों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है. 


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डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह संपन्न हुई नाइक की यात्रा में कई सार्वजनिक भाषण और निजी चर्चाएँ शामिल थीं. चिट्ठी की एक कॉपी डॉन के पास उपलब्ध है. चिट्ठी में लिखा गया है कि डॉ. जाकिर नाइक के सार्वजनिक भाषणों ने हमारे ईसाई समुदाय के भीतर काफी परेशानी पैदा की है, क्योंकि उन्होंने खुले तौर पर हमारे विश्वास की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया, हमारे पवित्र ग्रंथों को बदनाम किया और ऐसे बयान दिए जो ईसाई पादरियों और विद्वानों की मान्यताओं को कमजोर करते हैं.


जाकिर नाइक ने किया है धर्म का अपमान
चिट्ठी में इस बात पर जोर दिया गया है कि नाइक की टिप्पणियों ने न सिर्फ धार्मिक अपमान किया बल्कि सभी पाकिस्तानियों के राष्ट्रीय गौरव को भी कमजोर किया, चाहे उनका विश्वास कुछ भी हो. चिट्ठी में नाइक की टिप्पणियों के बारे में औपचारिक रूप से खेद व्यक्त करने में विफल रहने के लिए पाकिस्तानी सरकार की भी आलोचना की गई है, जिसने ईसाई समुदाय द्वारा महसूस की जा रही हाशिए पर होने की भावना को और तीव्र कर दिया है, जबकि सरकार ने सभी के लिए धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान बनाए रखने का बार-बार आश्वासन दिया है. अपने चिट्ठी में मार्शल ने सरकार से ऐसी विभाजनकारी और हानिकारक घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है, खासकर राज्य के समर्थन में होने वाली घटनाओं को भविष्य में होने से रोकने के लिए.


चिट्ठी में किया गया है कायदे-आज़म का जिक्र
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 1947 में पाकिस्तान की पहली संविधान सभा में कायदे-आज़म के महत्वपूर्ण भाषण का संदर्भ देते हुए कहा कि नाइक ने राज्य अतिथि के रूप में अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान संस्थापक पिता के दृष्टिकोण का अनादर किया. डॉ. मार्शल ने कहा, "डॉ. जाकिर नाइक ने सार्वजनिक मंचों पर अपनी टिप्पणी की, जहां हमारे पादरियों और विद्वानों को उनके गुमराह विचारों से उत्पन्न गलत सूचनाओं का उचित तरीके से जवाब देने या स्पष्टीकरण देने का मौका नहीं दिया गया." 


पादरी ने राष्ट्रपति से की ये मांग
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के नागरिक के रूप में संविधान के आर्टिकल 20 के तहत अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि हर नागरिक को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार होगा. वहीं, उन्होंने आर्टिकल 36 का भी हवाला दिया, जिसके अनुसार "राज्य को अल्पसंख्यकों के वैध अधिकारों की रक्षा करनी होगी. डॉ. मार्शल ने राष्ट्रपति जरदारी से यह सुनिश्चित करने के लिए गंभीर कदम उठाने का आह्वान किया कि इन संवैधानिक अधिकारों को बरकरार रखा जाए और किसी के द्वारा उनका उल्लंघन न किया जाए.