ट्रंप की नई `कैबिनेट` में 3 ऐसे नाम, जिससे टेंशन में पाकिस्तान; बंद हो सकता है हुक्का-पानी !
Pakistan News: पाकिस्तान ट्रंप के नए कैबिनेट के नामों की घोषणा से खासा परेशान है. पाकिस्तानी पॉलिसी मेकर ट्रंप की पसंद पर कड़ी नजर रख रहे हैं, जो अमेरिकी प्रशासन की फ्यूचर फॉरेन पॉलिसी का संकेत है.
Pakistan News: डोनाल्ड ट्रंप फरवरी 2025 में अधिकारिक तौर पर दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपित पद की कुर्सी संभालेंगे. लेकिन इससे पहले ही पाकिस्तान की टेंशन बढ़ गई है. दरअसल, पाकिस्तान ट्रंप के नए कैबिनेट के नामों की घोषणा से खासा परेशान है. पाकिस्तानी पॉलिसी मेकर ट्रंप की पसंद पर कड़ी नजर रख रहे हैं, जो अमेरिकी प्रशासन की फ्यूचर फॉरेन पॉलिसी का संकेत है. जिन नामों का ऐलान हुआ है, उससे यह साफ संदेश जाता है कि ट्रंप सरकार के लिए भारत प्राथमिकता लिस्ट में काफी ऊपर है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी फॉरेन पॉलिसी की प्राथमिकता लिस्ट में शामिल नहीं है.
सीनेटर मार्को रुबियो को अगले अमेरिकी फॉरेन मिनिस्टर के रूप में नामित किया गया है. बता दें कि उन्होंने ही भारत का समर्थन करने वाला एक बिल पेश किया था, जिससे रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी आर्मी हेडक्वार्टर में खतरे की घंटी बज गई थी. रुबियो की तरफ से सीनेट में पेश किए गए 'USA-इंडिया कोऑपरेशन एक्ट ' में क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की अपील की गई.
बिल में प्रस्तावित किया गया कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में भारत को जापान, इसराइल, दक्षिण कोरिया और नाटो जैसे सहयोगियों के बराबर माना जाना चाहिए. इसमें यह भी सुझाव दिया गया कि नई दिल्ली को डिफेंस, टेक्नोलॉजी, इकॉनमिक इन्वेस्टमेंट और सिविल स्पेस में सहयोग के जरिए से सुरक्षा मदद प्रदान की जानी चाहिए.
रुबियो के प्रस्तावित बिल में अलग-अलग प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए भारत के खिलाफ आतंकवाद को स्पोन्सर्ड करने में पाकिस्तान की संलिप्तता का भी जिक्र किया गया था. इसमें सुझाव दिया गया कि इस्लामाबाद को कोई भी अमेरिकी सुरक्षा सहायता प्रदान नहीं की जानी चाहिए.
तुलसी गबार्ड को मिली अहम जिम्मेदारी
ट्रंप ने यूएस नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर के अहम पद के लिए तुलसी गबार्ड को नामित किया है. तुलसी ने न सिर्फ फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत का सपोर्ट किया था. वहीं, वह इस्लामाबाद की तरफ से अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के बारे में भी मुखर रही हैं. ओसामा को साल 2011 में एबटाबाद में अमेरिकी नौसेना के जवानों ने एक ऑपरेशन में मार गिराया था.
ट्रंप प्रशासन के हाथों प्रशासन को बड़ी चुनौती
जॉन रैटक्लिफ, जो CIA की अगुआई करेंगे. इसस पहले भी रैटक्लिफट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. वह ईरान और चीन पर कड़ी नजर रखने के लिए जाने जाते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि शहबाज शरीफ की अगुआई वाली सरकार को ट्रंप प्रशासन के हाथों बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
आर्मी चीफ मुनीर का संदेश
पिछले सप्ताह पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने कहा था कि इस्लामाबाद किसी भी संघर्ष में किसी भी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह बयान आने वाले ट्रंप प्रशासन के लिए एक अप्रत्यक्ष मैसेज है. सरकारी सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने ट्रंप की टीम से कॉन्टैक्ट करना शुरू कर दिया है.