Pakistan news: पाकिस्तान की एक आतंकवाद-रोधी से कोर्ट से पूर्व पीएम इमरान खान करारा झटका लगा है.  कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की हरकतें 9 मई की हिंसा से जुड़े मामले में एक "आतंकवादी" के समान थीं. अदालत ने फैसला सुनाया कि उन्होंने अपनी रिहाई के लिए दबाव बनाने के लिए मिलिट्री कैंप, सरकारी संपत्तियों और पुलिस अफसरों  पर हमला करने का काम पार्टी नेताओं को सौंपा था.


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71 साल के पीटीआई संस्थापक और उनकी पार्टी के सैकड़ों कार्यर्ताओं और नेताओं पर कई मामलों के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें 9 मई, 2023 को उनके समर्थकों द्वारा किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शन के संबंध में आधिकारिक गोपनीयता एक्ट के तहत एक मामला भी शामिल है, जिसने पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया था. कथित भ्रष्टाचार के मामले में खान की गिरफ्तारी के बाद पिछले साल 9 मई को पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.


खान की पार्टी के सहयोगियों ने कथित तौर पर जिन्ना हाउस, जिसे लाहौर कोर कमांडर हाउस के नाम से भी जाना जाता है, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में ISI बिल्डिंग समेत एक दर्जन से ज्यादा सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की. साथ ही रावलपिंडी में सेना हेडक्वार्टर (GHQ) पर भी पहली बार भीड़ ने हमला किया.


 द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, " कोर्ट ने हुक्म में कहा है कि खान ने न सिर्फ लोगों को उकसाया, बल्कि अपनी रिहाई के लिए सेना और सरकार पर दबाव बनाने के लिए अपने नेताओं को अराजकता पैदा करने, कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने और आगजनी करने का निर्देश दिया."


PTI ने आदेश को  "बेतुका" करार दिया
वहीं, खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने आतंकवाद विरोधी अदालत के फैसले को "बेतुका आदेश" करार दिया और घोषणा की कि वह विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी. लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत ( ATC) ने इस सप्ताह की शुरुआत में 9 मई के दंगों से संबंधित तीन मामलों में खान की गिरफ्तारी पूर्व जमानत को खारिज कर दिया था और पुलिस को पूछताछ के लिए उन्हें निरंतर हिरासत में रखने की इजाजत दे दी थी. बृहस्पतिवार को इस संबंध में कोर्ट में आदेश सुनाया.


कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
गुरुवार को जारी एक लंबा-चौड़ा आदेश में लाहौर एटीसी के जस्टिस खालिद अरशद ने कहा, "गिरफ्तारी पूर्व जमानत की असाधारण रियायत एक निर्दोष व्यक्ति के लिए है, न कि याचिकाकर्ता इमरान खान नियाज़ी के लिए, जिसने सहयोगियों के साथ मिलकर कथित आपराधिक साजिश रची और उसे मूर्त रूप दिया. पीटीआई नेतृत्व और प्रदर्शनकारियों/अभियुक्तों का सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का एक साझा मकसद है."