Imran Khan Release: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शहबाज शरीफ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने इल्जाम लगाया है कि सरकार ने बातचीत के लिए राजी होने के बदले उन्हें नजरबंद करने का विकल्प दिया है. हालांकि, खान ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहले राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए.


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गुरुवार को रावलपिंडी की अदियाला जेल में वकीलों और पत्रकारों से बात करते हुए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के चीफ खान ने साल 2024 को पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण साल बताया. एक्स पर अपने पोस्ट में खान ने कहा, "मुझे एक सौदे के लिए जो प्रस्ताव मिला था, वह था "हमारे साथ बातचीत करें, और हम आपकी पार्टी को 'राजनीतिक स्थान' देंगे, लेकिन आपको नजरबंद कर दिया जाएगा और बानी गाला ले जाया जाएगा." 


पूर्व पीएम ने सरकार से की ये बड़ी डिमांड
इमरान खान ने इसके जवाब में कहा था कि पहले सभी दूसरे राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए. मैं किसी भी सौदे को स्वीकर करने से बजाय जेल में रहना पसंद करूंगा. मैं न तो नजरबंद होऊंगा और न ही खैबर पख्तूनख्वा की किसी जेल में, अपने देश के लिए मेरा संदेश है कि हिम्मत न हारें, आपका कप्तान दृढ़ है."


इमरान खान ने व्यापारियों से की ये गुजारिश
इमरान खान ने विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों से धन प्रेषण के बहिष्कार के अभियान में शामिल होने का भी आह्वान किया. उन्होंने देश में कानून के शासन पर ध्यान न दिए जाने की आलोचना की, जिसके कारण उन्होंने कहा कि निवेशकों ने अपनी पूंजी वापस ले ली है और कारखाने बंद हो गए हैं. खान ने तर्क दिया कि अगर कानून के शासन को प्राथमिकता दी गई होती, तो पाकिस्तान ने निवेश आकर्षित किया होता, जिससे देश की अर्थव्यवस्था स्थिर होती.


नागरिकों को नहीं मिल रहा है न्याय- इमरान खान
नागरिकों के मुकदमों में सैन्य अदालतों के उपयोग और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के राजनीतिक इंजीनियरिंग और पीटीआई को खत्म करने की ओर झुकाव के बारे में बोलते हुए, खान ने कहा, "पारदर्शी सुनवाई नागरिकों का मौलिक संवैधानिक अधिकार है. सैन्य अदालतों में मामलों की सुनवाई ने नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के लिए गंभीर शर्मिंदगी पैदा की है."