Hezbollah Israel War: हिजबुल्लाह ने इजरायल पर पेजर हमले का बदला ले लिया है. उसने इजरायल पर सैकड़ों रॉकेट दागकर युद्ध का ऐलान कर दिया है. पहली बार आज यानी 18 सितंबर को हिजबुल्लाह ने इजरायल की सीमा चौकियों पर सैकड़ों रॉकेट दागे हैं. हालांकि, इस हमले जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि सेना के कई चौकियों को तबाह हो गया है. 


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क्या है पूरा मामला
दरअसल, 17 सितंबर को लेबनान के कुछ इलाकों में बम धमाका हुआ था. जिसमें 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. जबकि 12 लोगों की मौत हो गई है. इजरायल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है और इस हमले में शामिल होने से भी इनकार किया है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले के जरिए लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्लाह के लोगों को निशाना बनाया गया था. इसमें हिजबुल्लाह से जुड़े लोगों पर ही हमला किया गया है. ये हमले ज्यादातर लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी इलाकों में हुए. इस हमले से हिजबुल्लाह भड़क गया है और इजरायल को हमले धमकी दी थी.


क्या होता पेजर
पेजर मोबाइल फोन की तरह ही एक वायरलेस डिवाइस है, जिसे बीपर भी कहते हैं. वैसे तो इसकी शुरुआत 1950 में न्यूयॉर्क में हुई थी, लेकिन 80 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा. भारत में भी कई लोग इसका इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब इसकी जगह मोबाइल ने ले ली है. इसकी स्क्रीन छोटी होती है और इसके जरिए वॉयस मैसेज भेजे जाते हैं. जैसे फोन कॉल करने के लिए नंबर होते हैं, वैसे ही पेजर में भी एक नंबर होता है. उस कोड के जरिए मैसेज भेजे जाते हैं.


हिजबुल्लाह क्यों करता है पेजर का इस्तेमाल
हिजबुल्लाह के लोगों द्वारा पेजर के इस्तेमाल के पीछे कई कारण हो सकते हैंय सबसे अहम बात यह है कि पेजर में जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता है, इसलिए इसे ट्रैक करना मुश्किल है. साथ ही, इसका कोई आईपी एड्रेस नहीं होता है, इसलिए इसे मोबाइल की तरह ट्रेस नहीं किया जा सकता. पेजर का नंबर बदला जा सकता है, इसलिए सुरक्षा कारणों से इसे काफी सुरक्षित माना जाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि हिजबुल्लाह से जुड़े लोग अपनी बातचीत को सुरक्षित रखने के लिए इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. यह बातचीत का एक सुरक्षित माध्यम है.