इस्लामिक ब्रदरहुड फेल: इजराइल-हमास जंग पर बदल गए मुस्लिम देशों के सुर
Israel Palestine War: इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. इस जंग 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 4 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इस हिंसा पर मुस्लिम राष्ट्रो ने प्रक्रिया दी है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
Israel Palestine War: हमास के लड़ाकों ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला बोल दिया, जिसके बाद हमास और इजारइल के बीच जंग छिड़ गई है. हमास के हमले में 600 इजराइल नागरिकों की मौत हो गयी है. वहीं इजराइल की जवाबी कार्रवाई में फिलिस्तीन में लगभग 400 लोगों की जान गई है. हमास के हमले के बाद पश्चिमी मुल्कों ने एक सुर में इजराइल का समर्थन किया है. वहीं, इस्लामिक देशों की बात की जाए तो ईरान को छोड़ बाकी मुल्कों ने फिलिस्तीन का न तो समर्थन किया है और न विरोध किया है. इन मुल्कों ने बीच का रास्ता इख्तियार किया है.
फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की वकालत
हालांकि, इस्लामिक मुल्कों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र मुल्क बनाने की वकालत की है, लेकिन पहले की तरह इजराइल की कड़ी आलोचना करने से बच रहे है. हमास का हमला ऐसे समय में हुआ है, जब इजराइल और मुस्लिम मुल्कों के बीच रिश्ते सुधारने की कवायद चल रही है. 2020 में इजराइल और दो अरब मुल्कों बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने अपने राजनयिक सम्बन्ध बहाल करने के करार पर हस्ताक्षर किए थे. उस वक़्त कई मुस्लिम मुल्कों ने इस समझौते का खुलकर समर्थन किया था.
OIC सधी हुई अंदाज में दिया बयान
इजराइल और हमास जंग पर इस्लामिक मुल्कों का सबसे बड़ा संगठन और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को ऑपरेशन यानी OIC ने इजराइल की कड़ी निंदा नहीं की है. इस संगठन ने बहुल सधे अंदाज में में बयान दिया है.
OIC ने कही ये बात
OIC ने बयान जारी कर कहा, "''इसराइल समस्या का अंतरराष्ट्रीय मान्यता के हिसाब से हल निकालने में नाकाम रहा है. इजराइली हमले में तेजी और फलस्तीनी लोगों के खिलाफ रोज हो रहे अपराध से वहां के लोगों की जमीन और संप्रुभता छिन चुकी है. वो अपने हक से वंचित हैं और यही वहां अस्थिरता की वजह है.'' इसके अलावा इस संगठन ने फिलिस्तीन और इजराइल जंग को इजराइली कब्जे को जिम्मेदार ठहराया है.
यूएई ने हमास को ठहराया जिम्मेदार
वहीं संयुक्त अरब अमीरात ने इस हमले के लिए फिलिस्तीन चरमपंथी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है. यूएई ने बयान जारी कर कहा, "इजराइली शहरों और गज़ा पट्टी के नज़दीक गांवों पर हमास के हमले से संघर्ष ने भीषण रूप ले लिया है. हमास ने आबादी वाले इलाक़ों पर हजारों रॉकेट दागे हैं. इजराइली लोगों को उनके घरों से निकाल कर बंधक बना लिया गया है. दोनों तरफ के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए. उन्हें संघर्ष का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए."
सऊदी ने की ये अपील
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान जारी कर कहा है, ''सऊदी अरब दोनों पक्षों से तशद्दूद छोड़ने की अपील करता है. इसके साथ ही वो दोनों तरफ के नागरिकों की सुरक्षा बहाल करने और संयम बरतने की अपील करता है. गज़ा पट्टी में हालात जिस कदर विस्फोटक हो गए हैं वो इजराइल के लगातार कब्जे और फ़लस्तीनी लोगों को उनके क़ानूनी हक से वंचित करने का नतीजा है.''
तुर्किए का रुख नरम
हमास और इजराइल जंग में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रुख तुर्किए का रहा है. इजराइल पर हमेशा तुर्किए हमलावर तेवर अपनाता है, लेकिन इस बार तुर्किए ने सधी अंदाज में प्रतिक्रिया दी है.
सधी हुई अंदाज में दिया बयान
तुर्किए ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे जंग पर चिंता जाहिर की है. तुर्किए के विदेश मंत्री ने बयान जारी कर कहा, "तशद्दूद बढ़ने का किसी भी पक्ष को फ़ायदा नहीं होगा. तुर्की हालात काबू करने में सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार है. इस दुखद घटनाक्रम ने साबित कर दिया है कि इसराइल और फ़लस्तीन दो राष्ट्र हैं. इस घटना ने इस नज़रिए की अहमियत एक बार फिर साबित कर दी है. हम दोनों पक्षों से अपील करते हैं, वो हिंसा का रास्ता छोड़ एक स्थायी समाधान की दिशा में काम करें.’’
कतर ने कही ये बात
वहीं, कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, "कतर एक बार फिर सभी पक्षों से हिंसा को आगे न बढ़ाने की गुजारिश करता है. दोनों पक्ष पूरी तरह तशद्दूद छोड़ दें ताकि ये इलाके और बड़ी हिंसा के दुश्चक्र में न फंस जाए.’’
पाकिस्तान ने फिलिस्तीन का किया समर्थन
इस हिंसा पर सबसे ज्यादा पाकिस्तान ने चौकाया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हम फिलिस्तीन के साथ खड़े है और इसराइल की कब्जा करने वाली सेना की हिंसा और अत्याचार को खत्म करने की गुजारिश करता है."
एक दिन बाद बदल गए सुर
लेकिन पाकिस्तान के रातों रात सुर बदल गए और समझौते तहत इस मामले का हल करने की वकालत करने लगा. विदेश मंत्रालय ने कहा,"पाकिस्तान हमेशा से वहां दो मुल्को के सिद्धांत की वकालत करता आ रहा है. पाक का कहना है कि इसी से मध्य-पूर्व में शांति आ सकती है. फलस्तीन की समस्या का अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से वाजिब और व्यापक समाधान ही यहाँ स्थायी शांति बहाल कर सकता है.''
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