माली में आतंकियों ने चारों तरफ घेर 21 लोगों की बेरहमी से की हत्या, शादी समारोह को बनाया श्मशान
Mali: माली बांदीगारा में आंतिकयों ने 21 लोगों को घेरकर बेरहमी से हत्या कर दी. बताया जा रहा है कि मध्य माली में एक विवाह समारोह में हथियारों से लैस आतंकियों ने चारों तरफ से वहां पर मौजूद लोगों को घेरकर मौत के घाट उतार दिया.
Mali: माली बांदीगारा में आंतिकयों ने 21 लोगों को घेरकर बेरहमी से हत्या कर दी. बताया जा रहा है कि मध्य माली में एक विवाह समारोह में हथियारों से लैस आतंकियों ने चारों तरफ से वहां पर मौजूद लोगों को घेरकर मौत के घाट उतार दिया. ज्यादातर लोगों की हत्या गला काटकर की गई है. ये चरमपंथी ग्रुप अल-कायदा से जुड़े जेएनआईएम चरमपंथी समूह के पैटर्न का अनुसरण कर लगातार इलाके में स्थानीय लोगों के निशाना बना रहे हैं.
पश्चिम अफ्रीकी देश के सैन्य शासक चरमपंथियों द्वारा बढ़ती हिंसा से निपटने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन वहां के शासक इस तरह की हिंसा पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल रही है. जानकारी के मुताबिक हमलावर मोटरसाइकिलों पर सवार होकर जिगुइबोम्बो में घुसकर इस दर्दनाक घटना को अंजाम दिया. स्थानीय युवा समूह के अध्यक्ष बेकरी गिंडो के मुताबिक, "सोमवार शाम को बांदीगारा शहर के गांव में निवासियों ने शैादी समारोह का जश्न मना रहा था तभी हथियार लैस भारी संख्यां में आंतकियों ने वहां पर मौजूद 21 लोगों की हत्या कर दी, जिसमें से ज्य़ादातर पीड़ितों का गला काट दिया गया था."
वहीं, एक दूसरे स्थनीय निवासी हमीदौ सई ने कहा कि हमलावरों ने बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को चारों तरफ घेरकर हत्या कर दी. अब तक किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन यह अल-कायदा से जुड़े JNIM ( Jama’at Nusrat al-Islam wal-Muslimin ) चरमपंथी समूह के पैटर्न का अनुसरण करता है जो अक्सर इस इलाके को निशाना बनाता है.
माली के मध्य और उत्तरी इलाके साल 2012 से ऐसी हिंसा की चपेट में है. हाल ही में निष्कासित फ्रांसीसी सैनिकों की मदद से चरमपंथी विद्रोहियों को अगले साल उत्तरी शहरों में सत्ता से बेदखल होना पड़ा. चरमपंथियों ने फिर से संगठित होकर दूरदराज के गांवों और सुरक्षा बलों पर हमले शुरू कर दिए हैं.
सत्ता पर कब्ज़ा करने और विदेशी शांति सैनिकों के जाने के करीब चार साल बाद माली के सैन्य शासक को हिंसा रोकने में बहुत कम सफलता मिली है. वहीं, उत्तर में सक्रिय जातीय तुआरेग विद्रोहियों के साथ 2015 का शांति समझौता ध्वस्त हो गया है, जिससे सुरक्षा संकट गहरा गया है.