Pakistan News: आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपने संविधान में संशोधन किया है. जिसके तहत देश के चीफ जस्टिस का कार्यकाल तीन साल तक सीमित कर दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर न्यायाधीशों में से मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए विशेष आयोग का गठन किया जाएगा. पाकिस्तानी मीडिया ने इस खबर की तस्दीक की है.


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वहीं, जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के विरोध के बीच पाकिस्तान सरकार ने यह कदम उठाया. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार को संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे संसद के दोनों सदनों सीनेट और नेशनल असेंबली ने पहले ही पारित कर दिया था. 


इन न्यायाधीशों पर लटकी तलवार
छब्बीसवें संविधान संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद सरकार अब जस्टिस मसूर अली शाह को मौजूदा मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा का स्थान लेने से रोक सकती है, जो 65 साल के होने के बाद 25 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल से बढ़ाकर 68 साल करने का मूल विचार संशोधन का हिस्सा नहीं था.


सीनेट में दो तिहाई से पास हुआ है कानून
20 अक्तूबर को सीनेट ने दो तिहाई बहुमत से इस विधेयक को हरी झंडी दे दी. फिर, रविवार देर रात शुरू हुए और सोमवार सुबह 5 बजे तक जारी रहे सत्र के दौरान नेशनल असेंबली ने भी विधेयक पारित कर दिया. सदन के 336 सदस्यों में से 225 ने विधेयक का समर्थन किया. 


विपक्ष ने लगाया गंभीर आरोप
वहीं, विपक्ष का आरोप है कि नए कानून का उद्देश्य स्वतंत्र न्यायपालिका की शक्तियों को कम करना है. नेशनल असेंबली सचिवालय की नोटिफिकेशन के मुताबिक, संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम, 2024 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सुन्नी-इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) ने नेशनल असेंबली में संशोधन का विरोध किया, लेकिन पीटीआई के समर्थन से अपनी सीट बरकरार रखने वाले छह निर्दलीय सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया. 


कानून पास करने में कितने सदस्यों की थी आवश्यकता
सरकार को संशोधन पारित करने के लिए 224 वोटों की आवश्यकता थी. रविवार रात सीनेट में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत के साथ संशोधन को मंजूरी देने के लिए इसे चार के मुकाबले 65 मत मिले. सत्तारूढ़ गठबंधन को संसद के ऊपरी सदन में 64 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता थी.