इस्लामाबाद: पाकिस्तान में 2025 का पहला पोलियो मामला सामने आया है. खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के टैंक जिले की 13 महीने की लड़की के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने नेशनल रेफरेंस लैब के सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि 25 नवंबर को पहली बार पोलियो के सिम्पटम्स दिखाने वाली लड़की में वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप-1 पाया गया है.


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हालांकि, पिछले साल 2024 में भी पाकिस्तान में पोलियो के 68 मामलों की पुष्टि हुई थी, जिनमें से 21 खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के थे. वहीं, बलूचिस्तान में 27 और सिंध में 19 मामले, जबकि पंजाब और इस्लामाबाद में एक-एक मामला दर्ज किया गया था. पाकिस्तान में 2024 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मुफ्त टीके दिए जाने के बावजूद यह वायरस अवाम के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है. 


4 करोड़ बच्चों का टीकाकरण
बीते साल 16 से 22 दिसंबर तक पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और इस्लामाबाद में पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया गया था, जिसमें 42 मिलियन ( 4 करोड़ 20 लाख ) से ज्यादा  बच्चों का टीकाकरण किया गया था.


पोलियो से बचने के लिए टीका ही एकमात्र उपाय
बता दें, पोलियो एक लकवाग्रस्त बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है और पोलियो रोधी टीका ही इस संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है. हालांकि, पाकिस्तानी अवाम गलत धारणा है कि इस टीके जरिए बच्चों को बंध्याकरण ( Sterilization ) करने की एक साजिश है, जिसकी वजह से माता-पिता बच्चे को टीका लगवाने से इनकार करते हैं. जिसके चलते पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन एक सतत चुनौती बनी रही है.


सरकार ने दिए ये सख्त निर्देश
वहीं, दिसंबर महीने में खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार ने पोलियो टीकाकरण से इनकार करने वाले परिवारों को जन्म, मृत्यु या विवाह प्रमाण पत्र जारी नहीं करने का फैसला लिया, जो पोलियो उन्मूलन अभियान को बढ़ावा देने वाले कोशिशों का हिस्सा था. सरकार के नए निर्देशों के तहत  इन आवश्यक दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए परिवार वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बच्चों को पोलियो वैक्सीन लगे हैं.  


पाकिस्तान-अफगानिस्तान में पोलियो  Endemic Disease
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दुनिया के दो ऐसे देश हैं जहां पोलियो अभी भी स्थानिक बीमारी ( Endemic Disease ) बनी हुई है. पाकिस्तान में पोलियो को विरोधी अभियान नियमित रूप से हिंसा से प्रभावित होते हैं. पोलियो के कई कार्यकर्ता उन हमलावरों द्वारा मारे जाते हैं या मारे गए हैं जो मानते हैं कि पोलियो विरोधी टीका अभियान गैर-इस्लामी हैं.