Protest Againts Electricity Bill: पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और बिजली की बढ़ती दरों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं. जनता में सख्त गुस्सा नजर आ रहा है. हर गुजरते दिन के साथ विरोध बढ़ता ही जा रहा है. पाकिस्तान के हालात लगातार बेकाबू होते जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि उसके हाथ पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बंधे हैं. IMF की रजामंदी के बिना वह कोई राहत नहीं दे सकती. पाकिस्तान की अंतरिम फाइनेंस मिनिस्टर शमशाद अख्तर का कहना है कि सरकार आईएमएफ कार्यक्रम की जंजीरों से बंधी हुई है. उसे टैक्स को लागू करना है. बिजली और गैस की दरों में और इजाफा किया जाएगा.


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"सरकार के पास सब्सिडी के लिए पैसे नहीं"
अंतरिम वित्त मंत्री के तौर पर चार्ज संभालने के बाद डॉ. शमशाद ने पहली पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा कि पाकिस्तान एक आयात-निर्भर देश है और सरकार के पास सब्सिडी के लिए पैसे नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि हमें दुनिया के बाजारों में ऊंची कीमतों और सब्सिडी के लिए किसी भी राजकोषीय स्थान की उपलब्धता की कमी के सिलसिले में बिजली और ईंधन की कीमतों में और इजाफा करना होगी. हमारे पास आईएमएफ कार्यक्रम पर टिके रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. 


 


गुस्से में जनता
पाकिस्तान की जनता हर दिन देश के कई हिस्सों में एहतेजाज कर रहे हैं. लोग सरकार की नीतियों को खारिज कर रहे हैं और बिजली बिलों का भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं. रावलपिंडी में एक एहतेजाजी ने कहा, हम अपने बिलों का भुगतान नहीं करेंगे. हम बिलों को नामंजूर करते हैं.हम इन बिलों को जला देंगे. बेतहाशा बढ़ती महंगाई में जिंदगी गुजारना मुश्किल हो रहा है. एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, "लोगों ने खुदकुशी करना शुरू कर दिया है. क्या यह सरकार चाहती है कि हम उन्हें करों और बिलों का भुगतान करें और अपने बच्चों और परिवारों को भूखा छोड़ दें? इस तरह के करों, बिलों और कीमतों में बढ़ोतरी करके हमें कब्रों में धकेल रहे हैं. हम अब इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे.


 


देश की अर्थव्यवस्था को और नुकसान
वहीं, सरकार ने सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शनों से तेजी से बिगड़ती स्थिति पर ध्यान दिया है.  उसने इस उथल-पुथल के बारे में जानकारी देने के लिए आईएमएफ से संपर्क करने का फैसला लिया है. सीनियर राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा, सरकार को इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता तलाश करना होगा, इससे पहले कि हालात गृहयुद्ध में बदल जाएं. इतनी बड़ी तादाद में लोगों के बिल न चुकाने से सरकार के कलेक्शन को भी बड़ा झटका लगेगा, जिससे पहले से ही देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचेगा.


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