इस्लामाबादः भ्रष्टाचार के एक मामले में शनिवार को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तीन साल की सजा सुनाई गई और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल ले जाया गया. हालांकि, पाकिस्तान के लिए इसमें कुछ भी नया नहीं है. इससे पहले भी इस मुल्क में कई चुने हुए प्रधानमंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़ी है जबकि यहां के सैन्य तानाशाहों का आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका. सारी ताकतें उनतक आते-आते पस्त हो जाती हैं.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख खान को इस्लामाबाद स्थित सत्र अदालत द्वारा तोशखाना विवाद मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद लाहौर में उनके ज़मान पार्क निवास से गिरफ्तार किया गया है.


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इस मामले में हुई इमरान खान की गिरफ्तारी 
तोशखाना कैबिनेट डिवीजन के तहत आने वाला एक विभाग है जो सरकारों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा शासकों और सरकारी अफसरों को दिए गए उपहारों को जमा करता है. खान ने सऊदी क्राउन प्रिंस द्वारा दी गई एक कीमती घड़ी सहित कुछ उपहारों को लाभ के लिए बेच दिया था. 70 वर्षीय नेता को तोशाखाना से तोहफा खरीदने और बिक्री करने के लिए अधिकृत किया गया था, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को उस पैसे के बारे में सूचित नहीं किया. उस खरीद-बिक्री को छुपाने का उन पर आरोप लगाया गया था, जो कानूनन अपराध है.



हुसैन शहीद सुहरावर्दी गए थे जेल 
गौरतलब है कि इमरान खान जेल जाने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नहीं हैं. मुल्क के इतिहास में निर्वाचित नेताओं के साथ किए गए व्यवहार के कई उदाहरण भरे पड़े हैं. इस लिस्ट में पहले स्थान पर हुसैन शहीद सुहरावर्दी हैं, जो तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के एक बंगाली राजनेता थे. उन्होंने पांचवें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था. उन्हें जनवरी 1962 में गिरफ्तार कर लिया गया और “राज्य-विरोधी गतिविधियों“ के फर्जी इल्जाम में जेल में डाल दिया गया. हालांकि, उनका असल अपराध सैन्य शासक जनरल अयूब खान का समर्थन करने से इनकार करना था.



जुल्फिकार अली भुट्टो को दी गई फांसी 
पाकिस्तान के नौवें प्रधान मंत्री के तौर पर ओहदा संभालने वाले जुल्फिकार अली भुट्टो को 1974 में एक सियासी हरीफ की हत्या की साजिश के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 4 अप्रैल, 1979 को फांसी दे दी गई.



बेनजीर भुट्टो को किया गया गिरफ्तार 
बेनजीर भुट्टो 1988 से 1990 तक और फिर 1993 से 1996 तक दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं. देश की एकमात्र महिला प्रधान मंत्री को कई बार गिरफ्तार किया गया - पहली बार 1985 में और 90 दिनों के लिए घर में नजरबंद रखा गया. अगस्त 1986 में, कराची में एक रैली में सैन्य तानाशाह जियाउल हक की आलोचना करने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. अप्रैल 1999 में, उन्हें भ्रष्टाचार के इल्जाम में पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई और अयोग्य साबित कर दिया गया. इसके साथ ही उनपर 5 मिलियन पाउंड से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि, इस मामले में उन्हें जेल नहीं जाना पड़ा क्योंकि उस वक्त वह निर्वासन झेल रहीं थीं.  



नवाज़ शरीफ़ को 10 साल की सजा 
1999 में जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के सत्ता संभालने के बाद नवाज़ शरीफ़ को गिरफ़्तार कर लिया गया और बाद में 10 साल के लिए निर्वासित कर दिया गया था. जुलाई 2018 में, उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी बेटी मरियम नवाज़ के साथ 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. उसी साल दिसंबर में, उन्हें अल-अज़ीज़िया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल की जेल की सज़ा सुनाई गई. वह 2019 में इलाज के लिए लंदन गए और फिर कभी वापस नहीं लौट सके. 



शाहिद खाकान अब्बासी
शाहिद खाकान अब्बासी को प्राकृतिक गैस (एलएनजी) भ्रष्टाचार मामले में जुलाई 2019 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. 


किसी भी प्रधान मंत्री ने अभी तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया


इमरान खान की गिरफ्तारी और सजा पर टिप्पणी करते हुए, पाकिस्तान के मशूहर पत्रकार और जियो न्यूज के एंकर हामिद मीर ने कहा है कि इमरान खान जेल जाने वाले पहले प्रधान मंत्री नहीं  हैं, और शायद आखिरी भी नहीं होंगे. ”उन्होंने ट्वीट किया, “पहले हुसैन शहीद सुहरावर्दी, फिर ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो, फिर बेनज़ीर भुट्टो, फिर नवाज़ शरीफ़ और अब इमरान खान. प्रधानमंत्रियों और राजनेताओं को हमेशा दंडित किया जाता है.’’ पाकिस्तान के इतिहास में किसी भी प्रधान मंत्री ने अभी तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. 



 तानाशाहों का कुछ नहीं कर पाया कोर्ट और कानून 


इसके विपरीत, चार सैन्य तानाशाहों - अययूब खान, याह्या खान, जियाउल हक और परवेज मुशर्रफ में से किसी को भी निर्वाचित सरकारों को गिराने और संविधान को खत्म करने के लिए कानून का सामना नहीं करना पड़ा. शक्तिशाली पाकिस्तान सेना, जिसने अपने वजूद में आने के 75 वर्षों में आधे से ज्यादा समय तक तख्तापलट वाले देश पर शासन किया है, ने सुरक्षा, विदेश नीति के साथ-साथ राजनीति के मामलों में भी काफी शक्ति का इस्तेमाल किया है.


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