हिजाब के खिलाफ उतरने पर मिलेगी सजा? ईरान में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे सुधारवादी
ईरान में हिजाब के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए सुधारवादी नेताओं को सजा मिल सकती है. मुम्किन है कि ईरान की गार्जियन काउंसिल उनकी योग्यता को भंग कर दे.
ईरान में हिजाब के खिलाफ हुए प्रदर्शन का कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है. यहां पर सरकार ने एक बार फिर कहा है कि जल्द ही मोरैलिटी पुलिस सड़कों पर होगी. इससे पहले सितंबर 2022 में महसा अमीनी नाम की लड़की की हिजाब के चलते पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इसके बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद ईरान सरकार ने 10 महीनों के लिए मौरैलिटी पुलिस की गतिविधियों को रोक दिया था.
फरवरी में ईरान में आम चुनाव होने हैं. ईरान के सुधारवादी नेता इस चुनाव में हिस्सा लेने के लिए पसोपेश में हैं. लेकिन खबर है कि उनका चुनाव में हिस्सा ले पाना तकरीबन नामुम्किन हैं क्योंकि गार्जियन काउंसिल उन लोगों की उम्मीदवारी को आयोग्य कर देगा जिन्होंने हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया या इसके खिलाफ किसी भी तरह की आवाज उठाई.
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जबसे महसा अमीनी की मौत हुई है उसके बाद से कई शहरों में हिजाब के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. हजारों की तादाद में महिलाओं ने हिजाब थोपने से मना कर दिया. इससे पहले भी ईरान की कई महिलाओं ने मोरैलिटी पुलिस पर यातना, यौन शोशण, बालात्कार और पिटाई समेत कई इल्जाम लगाए हैं.
हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया जाएगा. लेकिन रविवार को जब मोरैलिटी पुलिस को दोबारा सड़कों पर उतारे जाने की बात कही गई तो लोगों की नींद उड़ गई.
ख्याल रहे कि ईरान में अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं. ऐसे रूढीवादियों ने चुनाव के लिए प्रचार शुरू कर दिया है. लेकिन सुधारवादियों की तरफ से कोई भी सरगर्मी दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में सुधारवादियों को डर है कि कहीं रूढ़ीवादी उनकी उम्मीदवारी को खत्म न कर दें. यह गौरतलब है कि ईरान की गार्जियन काउंसिल यह निर्धारित करती है कि कौन चुनाव लड़ेगा और कौ नहीं.
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