Saudi Arabia News: ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के मुताबिक, 47 साल के सऊदी शिक्षक असद बिन नासिर अल-गामदी को सोशल मीडिया पर अपने ख्यालात जाहिर करने पर 20 साल की सजा हुआ है. अल-गामदी को नवंबर 2022 में बंदरगाह शहर जेद्दा के अल-हमदानियाह पड़ोस में उसके घर पर रात के समय छापेमारी में गिरफ्तार किया गया था.


29 मई को सुनई गई थी सज़ा


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उन्हें 29 मई को सऊदी अरब के विशेष आपराधिक न्यायालय के जरिए कई आपराधिक अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था, जो केवल ऑनलाइन उनकी शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति से जुड़े हुए थे. उन्हें तीन महीने तक जेद्दाह के धहबान जेल में एकांत कारावास में रखा गया, लगभग दो महीने तक उनसे संपर्क नहीं किया गया, इसके साथ ही 11 जनवरी, 2023 को ही परिवार के सदस्यों ने उनसे पहली बार मुलाकात की.



क्या किया था पोस्ट?


अदालती दस्तावेजों से पता चलता है कि अल-गामदी को ट्विटर पर ऐसे पोस्ट पब्लिश करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिससे कथित तौर पर मातृभूमि की सुरक्षा को नुकसान पहुंचा था. एचआरडब्ल्यू ने बताया कि सऊदी अधिकारियों ने अल-गामदी पर “राजा और क्राउन प्रिंस के धर्म और न्याय को चुनौती देने” और “झूठी और दुर्भावनापूर्ण खबरें और अफवाहें पब्लिश करने” का आरोप लगाया है.


एचआरडब्ल्यू का दावा है कि उन्होंने विजिन 2023 रिफॉर्म एजेंडी की आलोचना की थी. "सुरक्षा बलों ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया और घर के हर कमरे की तलाशी ली. उन्हें गिरफ़्तारी के कारणों या उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों के बारे में नहीं बताया गया."


भाई को हो चुकी है मौत की सज़ा


अल-गामदी, मोहम्मद अल-गामदी का भाई है, जिन्हें सोशल मीडिया पर राज्य में "भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा" करने के लिए 2023 में मौत की सजा सुनाई गई थी. तीसरे भाई सईद बिन नासिर अल-गामदी एक प्रसिद्ध सऊदी इस्लामी विद्वान और सरकार के आलोचक हैं, जो वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम (यूके) में रह रहे हैं. सऊदी सरकार कई बार नासिर को वापस लाने की कोशिश कर चुकी है.


गामदी के वकील ने क्या कहा?


एचआरडब्ल्यू के अनुसार, अदालत ने अल-गामदी के लिए एक वकील नियुक्त किया, लेकिन वकील ने जरूरी अदालती दस्तावेज और स्वास्थ्य स्थिति के सबूत देने से इनकार कर दिया. अल-गामदी मिर्गी से पीड़ित हैं, जिसके पूरे इंतेजाम के लिए उन्हें लगातार मेडिकल देखरेख की जरूरत होती है. जानकार सूत्रों ने एचआरडब्ल्यू को बताया कि हिरासत के दौरान उसे ऐसी देखभाल नहीं मिली है.


जून 2017 में मोहम्मद बिन सलमान, जिन्हें एमबीएस के नाम से भी जाना जाता है, के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से दर्जनों इमामों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सत्तारूढ़ शाही परिवार के सदस्यों को हिरासत में लिया गया है. अगस्त 2022 में, सलमा अल-शहाब नाम की एक महिला को ट्विटर अकाउंट रखने और मोहम्मद बिन सलमान शासन के कार्यकर्ताओं और आलोचकों के बारे में ट्वीट पोस्ट करने के लिए 34 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.