इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगानिस्तान बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना और तालिबानी बलों में बॉर्डर पर लगातार झड़पें हो रही हैं. दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप भी जारी है. इस बीच, अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन ने दावा किया है कि पाकिस्तान में रह रहे  सैंकड़ों अफगानों को कस्टडी में ले लिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमू टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद से तालिबान की अगुआई वाली अफगान दूतावास ने सोमवार को बताया कि पाकिस्तानी अफसरों ने 800 अफगान प्रवासियों को हिरासत में लिया है. इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिनके पास वैध दस्तावेज थे.


तालिबान ने  X पर एक बयान में कहा, दूतावास ने दावा किया कि हिरासत में लिए गए माइग्रेंट्स में वे लोग शामिल हैं जिनके पास वीजा, रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (पीओआर) या अफगान नागरिक कार्ड (एसीसी) दस्तावेज हैं, जो पाकिस्तान में उनके रहने को अधिकृत करने के लिए हैं.


तालिबानी एंबेसी ने अफ़गान माइग्रेंट्स को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में हो रही कठिनाइयों पर रौशनी डाला. तालिबान का इल्जाम है कि पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्सेज इस्लामाबाद में उन प्रवासियों को निशाना बना रहे हैं जिनके पास एनओसी नहीं है, भले ही उनके पास अन्य वेलिड दस्तावेज़ हों.


रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान वापस भेजे गए लोगों में से 137 के पास वेलिड वीजा था, लेकिन वे वीजा एक्सटेंशन का इंतजार कर रहे थे. तालिबान ने मौजूदा हालात को और खराब बताया और इस बात पर जोर दिया कि गिरफ्तारियों के दौरान महिलाओं और बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया गया है. उन्होंने पाकिस्तान से अपने बॉर्डर के भीतर रहने वाले अफ़गान नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा को बनाए रखने का आग्रह किया.


12 लाख प्रवासी लौटे अफगानिस्तान
तालिबान ने अपने बयान में यूनाइेड नेशन और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप करने और अफ़गान माइग्रेंट्स के प्रति पाकिस्तान की नीतियों को संबोधित करने की भी अपील की गई. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक,  मौजूदा वक्त में करीब तीन मिलियन ( 30 लाख ) अफगान प्रवासी पाकिस्तान में रहते हैं. इंटरनेशनल प्रवासन संगठन (आईओएम) ने बताया कि 2024 में 1.2 मिलियन से ज्यादा अफगान प्रवासी अफगानिस्तान लौट आए, जो पाकिस्तान में अभी भी रह रहे लोगों के सामने बढ़ती चुनौतियों को उजागर करता है.


पाक-तालिबान क्यों है आमने-सामने ?
बात दें, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान चरमपंथी ग्रुप तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के मुद्दे पर आमने-सामने हैं. टीटीपी का मकसद पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी कैंपेन चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है. मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक यह पाकिस्तान की शहाबाज सरकार को सरकार को हटाकर इस्लामी कानून की शासन की नींव रखना चाहता है.


पाकिस्तान का तालिबान पर इल्जाम है कि वह टीटीपी विद्रोहियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने और उनकी पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का सपोर्ट करता है. हालांकि काबुल इन आरोपों का हमेशा खंडन करता आया है.