अफगानी लड़कियों के लिए खुशखबरी! UNICEF देश में खोलेगा हजारों तालीमी इदारे
Afghanistan Education: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्ताम में हजारों तालीमी इदारे खोलेगा. इससे यहां के लाखों छात्र-छात्राओं को तालीम मिलेगी.
Afghanistan Education: खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने ऐलान किया है कि वह जल्द ही अफगानिस्तान में लगभग एक हजार तालीमी इदारे खोलेगा. इस पहल का मकसद अफगानिस्तान के लगभग 140,000 युवाओं को तालीमयाफ्ता करना है. ऐसे वक्त में जब देश तालिबान शासन के तहत अपने सबसे खराब मानवीय संकट से जूझ रहा है UNICEF का ये कदम सराहनीय है. UNICEF ने 17 जनवरी से यह प्रोग्राम शुरू किया. संगठन का दावा है कि ये निर्देशात्मक कार्यक्रम सीखने और बेहतर भविष्य के निर्माण को बढ़ावा देंगे.
लड़कियों की बंद है तालीम
इसके अलावा, यूनिसेफ ने ऐलान किया है कि वह दक्षिण कोरिया से वित्त पोषण का उपयोग करके अफगानिस्तान में 950 तालीमी इदारे स्थापित करने का इरादा रखता है. खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ऐलान ऐसे समय में की गई है जब अफगानिस्तान में तालिबान शासन के नियंत्रण के कारण लड़कियों को छठी कक्षा के बाद अपनी तालीम जारी रखने पर प्रतिबंध है.
10 लाख लड़कियां नहीं जा रही स्कूल
तालिबान की तरफ से लगाई गई पाबिंदियों कि वजह से, दस लाख से ज्यादा अफगान लड़कियां स्कूल जाने या शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं. इसके अलावा, लगभग 100,000 महिला स्कूल शिक्षकों ने अपनी नौकरी खो दी है, और हजारों औरतों और लड़कियों को आगे की ताली हासिल करने का मौका नहीं दिया जा रहा है. खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रतिबंधों ने अफगान महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है.
2021 में सत्ता में आया तालिबान
तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा किया था. इसके बाद तालिबान ने वादा किया था कि वह औरतों के अधिकारों के प्रति उदार रुख अपनाएगा. लेकिन उसने उच्च शिक्षा पर पाबंदी लगा दी. तालिबान का यह कदम समाज में महिलाओं की भूमिका को सीमित करने केलिए उठाया गया लगता है. अगस्त 2021 के तुरंत बाद, तालिबान ने छठी कक्षा के बाद लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया और महिलाओं को हिजाब पहनने और केवल पुरुष संरक्षक के साथ यात्रा करने के लिए सख्त नियम लागू किए.
उन्होंने ब्यूटी सैलून बंद कर दिए और महिलाओं को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी सहायता समूहों के साथ काम करने से रोक दिया, जिससे इस मामले पर अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश फैल गया.