Who are Houthis: 31 अक्टूबर को कुछ मिसाइल और ड्रोन इजराइल की ओर दागे गए, लेकिन ये अटैक हमास के जरिए नहीं किया गया था, यह हमला था हूती विद्रोहियों की तरफ से, जिसे इजराइल की एंटी मिसालइल तकनीक ने नाकाम कर दिया. हूती विद्रोही यमन में 70 फीसद जगह पर राज करते हैं, जिन्होंने सऊदी और उसके मित्र देशों के साथ कई गोरिल्ला युद्ध लड़े हैं. हूतियों का स्लोगन है कि "खुदा महान है, अमेरिका का विनाश, इसराइल का विनाश, यहूदी शापित हों, इस्लाम की जय". इजराइल पर हमले के बाद हूती के स्पोकपर्सन ने टीवी इंटरव्यू में कहा "फ़िलिस्तीनियों को जीत दिलाने में मदद करने के लिए ऐसे और भी हमले होंगे." आखिर ये हूती विद्रोही कौन हैं? आइये जानते हैं पूरी डिटेल.


कौन हैं हूती विद्रोही?


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हूती विद्रोहियों के बारे में जानने के लिए आपको इतिहास में पीछे जाना होगा. हूती की जड़े यमन से जुड़ी हैं. इसकी स्थापना 1990 में मौलवी बद्र अल दीन अल हूती ने अपने बेटे हुसैन अल हूती के साथ मिलकर की थी. दोनों बाप बेटे ईरानी क्रांति और साल 1980 में हुए साउथ लेबनान में हिज़बुल्लाहब के उरूज से काफी मुतास्सिर थे. इन्होंने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए यमन के जैदियों के बीच सोशल और रिलीजियस नेटवर्क बनाना शुरू किया. बता दें जैदी शिया मुस्लिमानों में एक फिरका है, जो यमन के उत्तरी सूबे में रहता है. नेक काम से शुरू किया गया यह आंदोलन सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया. हूती विद्रही मौजूदा सरकार से खफा थे और उनकी नीतियों का अपोज़ कर रहे थे. विद्रोह इस स्तर तक पहुंच गया कि यमन में गृह युद्ध छिड़ गया.



राष्ट्रपति को चुनौती


उस वक्त के राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह को चुनौती देने के बाद हूती आगे बढ़ते गए और देखते ही देखते यमन में उनका वर्चस्व कायम होने लगा. आरोप लगे कि हूती विद्रोहियों को ईरान भी समर्थन करता आया है. हूती का प्रभाव तेजी से बढ़ा और देखते ही देखते राजधानी सना के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में हूती विद्रोही फैल गए.


सरकार का क्यों किया विरोध?


साल 2004 में  Hussein Badreddin al-Houthi को पकड़ने के लिए मौजूदा सरकार ने वारंट जारी कर दिया, इसके बाद से ही विद्रोह शुरू हुआ और हूती सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे. हूतियों ने आदिवासियों को इकट्ठा किया और सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. सरकार के खिलाफ इस युद्ध में Hussein al-Houthi मारा गया. इसके बाद अमेरिका ने यमन को समर्थन कर दिया और देखते ही देखते हूती आतंकवादियों की कैटेगरी में आ गए और यमन में गृह युद्ध चरम पर पहुंच गया. धीरे-धीरे हूती मजबूत होते गए और उन्हें सरकारी मिशनरी का भी समर्थन मिला. साल 2010 इस विरोधी संगठन ने ज्यादातर यमन पर कंट्रोल कर लिया.



राष्ट्रपति ने मांगी सऊदी से मदद


2014 में हूतियों का राजधानी सना पर कब्जा होने के बाद राष्ट्रपति हादी ने सऊदी से मदद मागी. एक ऑपरेशन चलाया गया जिसका नाम 'ऑपरेशन डिसीसिव स्टॉर्म' रखा गया इस. ऑपरेशन का मकसद हूतियों पर बमबारी करना और नौसैनिक नाकांबदी करना था. सऊदी समाचार आउटलेट अल अरबिया के मुताबिक, सऊदी अरब ने सैन्य अभियान में 100 युद्धक विमानों और 150,000 सैनिकों का योगदान दिया. कई मीडिया एजेंसियों ने बताया कि मिस्र, मोरक्को, जॉर्डन, सूडान, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और बहरीन के विमान भी इस युद्ध में हिस्सा ले रहे थे. तभी से अभी तक हूती सऊदी से जंग कर रहे हैं, हालांकि बीच में कई बार सीज फायर भी हो चुका है.