Bangladesh Reservation Protest: बांग्लादेश में तख्तापटल हो चुका है. फिलहाल पूर्व पीएम शेख हसीना भारत में शरण ली है. इससे पहले शेख हसीना 5 जून को जब भारत आई थीं, तो उस वक्त पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें रेड कार्पेट पर स्वागत किया था, लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है. हसीना इस बार भारत जरूरी आई हैं, लेकिन पीएम के हैसियत से नहीं बल्कि शरणार्थी के तौर पर भारत आई हैं. इस वक्त बांग्लादेश पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है. पीएम आवास से लेकर हर सरकारी दफ्तर में प्रदर्शन कर रहे छात्र घुस गए है. आखिर हसीना को अपना मुल्क छोड़ने पर किसने मजबूर किया है. आइए जानते हैं.


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दरअसल, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन के खिलाफ छात्र प्रोटेस्ट कर रहे हैं. उसमें तीन अहम किरदार है, जिन्होंने विश्वविद्याल कैंपस में आंदोलन शुरू किया और 15 साल से सत्ता पर काबिज शेख हसीना की सरकार गिरा दी. आइए उन किरदार के रूबरू कराते हैं.  


नाहिद हसन ने सरकार को दी थी चेतावनी
पहला किरदार नाहिद इस्लाम है, जो इस प्रोटेस्ट के सबसे बड़ा चेहरा है. इन्होंने बांग्लादेश सरकार की नींव हिला कर दी. जब सरकार रिजर्वेशन बिल लाई थी, उसी वक्त नाहिद इस्लाम आंदोलन की चेतावनी दी थी. इसके बाद से ही वो ढाका यूनिवर्सिटी में सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे है. इस दौरान उनको पुलिस ने हिरासत में लिया था. जिसके बाद देश में भारी बवाल हो गया. उन्होंने 4 अगस्त को कहा था,  “आज हमने लाठी उठाई है, अगर लाठी काम नहीं आई तो हम हथियार उठाने के लिए भी तैयार हैं. प्रधानमंत्री हसीना मुल्क को गृहयुद्ध में धकेलना चाहती हैं. अब शेख हसीना को तय करना है कि वे पद से हटेंगी या पद पर बनी रहने के लिए खून-खराबा का सहारा लेंगी.”


कौन है नाहिद हसद
गौरतलब है कि नाहिद हसन ढाका विश्वविद्यालय के छात्र हैं. उन्होंने पुलिस पर इल्जाम लगाया था कि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है. इसके बाद पुलिस ने नाहिद के आरोप का खारिज करते हुए, हिरासत में लेने से इनकार किया था. इसके बाद भी नाहिद हसन का पता नहीं चला कि वह कहां है, किस हालात में है, जिसके बाद प्रदर्शन उग्र हो गया. नाहिद को 24 घंटे बाद एक पुल के नीचे बेहोशी के हालात में पाया गया था. उन्होंने पुलिस पर इल्जाम लगाया कि उनको उस वक्त तक पीटा गया, जब तक वह बेहोश नहीं हो गए. हालांकि, इलाज के दौरान नाहिद को दोबारा पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.


कौन है दूसरा किरदार आसिफ महमूद
दूसरा किरदार आसिफ महमूद हैं, जिन्होंने इस आंदोलन के हिस्सा बने. आसिफ महमूद भी ढाका विश्वविद्यालय के स्टूडेंट हैं और वह जून के महीने में रिजर्वेशन के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा बन गए. इनको भी बांग्लादेश पुलिस ने हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उनकी हिरासत के पीछे भी सुरक्षा कारणों का हवाला दिया. आसिफ को डिटेक्टिव ब्रांच के ऑफिस में रखा गया था और यहां किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा था. यहां तक की परिवार के लोग भी इनसे मिल नहीं सकते थे. परिवार वालों ने मिलने का परमिशन मांगा था, लेकिन उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. 


कौन हैं तीसरा किरदार अबु बकर
अबु बकर भी ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हैं. शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाई है. अबु बकर जियोग्राफी डिपार्टमेंट का स्टूडेंट हैं. वह सिविल राइट्स और ह्यूमन राइट्स को लेकर काम करते हैं.  5 जून को हाईकोर्ट ने रिजर्वेशन पर फैसला सुनाया था. जिसके बाद इन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन अभियान की शुरुआत की. एक रिपोर्ट में दावा किया है कि सरकार ने इन पर आंदोलन वापस लेने के लिए बंद कमरे में दबाव बनाया था.