Who is Yahya Sinwar of Hamas: 1987 में हमास का गठन किया गया और एक 25 साल के लड़के ने इसका एक कोर ग्रुप बनाया गया अल मज्द. इसका मकसद ऐसे लोगों को सजा देना था, जो इजराइल के साथ साठ-गांठ बनाकर फिलिस्तीन को धोखा देते थे. इस संगठन को बनाने वाले शख्स का नाम था 'याह्या सिनवार'. याह्या हमास के उन टॉप लीडर्स में से एक हैं, जिन्हें 7 अक्टूबर को हुए हमले का अहम जिम्मेदार माना जाता है. इस हमले में 1200 से ज्यादा इजराइलियों की जानें गई थीं. आईडीएफ के चीफ ऑफ स्टाफ हर्ज़ी हलेवी ने कहा था हमले का फैसला याह्या सिनवार ने किया था, इसलिए याह्या के साथ काम करने वाला हर आदमी हमारे टारगेट पर है.


कौन है याह्या सिनवार?


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याह्या सिनवार की उम्र 61 साल है और लोग उन्हें अबु इब्राहिम के नाम से भी जानते हैं. सिनवार का जन्म साउथ इलाके खान यूनिस के रेफ्यूजी कैंप में हुआ था. याह्या इजराइल को शुरुआत से ही बड़ा दुश्मन मानते हैं. उनके माता-पिता अश्केलॉन में रहते थे, लेकिन जब 1948 में इजराइल बना तो हजारों फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया गया, जिनमें से याह्या के माता पिता भी थे. ये फिलिस्तीनी लंबे वक्त तक रेफ्यूजी कैंप में रहते रहे, और याह्या यहीं पले-बढे.


याह्या की पढ़ाई


याह्या ने अपनी शुरुआती पढ़ाई खान यूनिस के लड़कों के एक सेकेंडरी स्कूल से की, और फिर उन्होंने गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरबी जबान में बैचलर डिग्री ली. अपनी पढ़ाई के दौरान याह्या मुस्लिम ब्रदरहुड नाम के संगठन से भी जुड़े. याह्या 1982 और फिर 1985 में गिरफ्तार किए गए. उन पर इलज़ाम था कि वह वह इस्लामिक गतिविधियों में शामिल हैं. इसी दौरान याह्या ने हमास के संस्थापक शेख अहम यासीन का भी भरोसा जीत लिया.


चम्मच से खुदवाई कबर


याह्या काफी खूंखार माने जाते हैं, कुछ लोग तो उन्हें मनोरोगी भी कहते हैं. इजराइल के अधिकारियों के मुताबिक याह्या ने इजराइल के लिए जासूसी करने वाले शख्स की हत्या उसके ही भाई से कराई थी. हत्या के बाद शख्स ने चम्मच से कब्र खोद कर अपने भाई को दफ्न कर दिया था. 


1988 में इजराइली सैनिकों की हत्या


जानकार याह्या को सनकी भी मानते हैं. इलज़ाम लगाए जाते हैं कि उन्होंने कई ऐसे लोगों की हत्या की है, जिन पर इजराइल का सहयोग करने का शक था. इनमें से कई लोगों को याह्या ने अपने हाथों से मारा था. 1988 में याह्यया ने दो इजराइली सैनिकों की हत्या की थी. इसकी प्लानिंग खुद उन्होंने ही की थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें चार उम्र कैद की सजा सुनाई गई. याह्या 22 साल तक जेल में रहे और 2011 में वह रिहा हुए. ऐसा माना जाता है कि इस वक्फे ने उन्हें और ज्यादा कट्टरपंथी बना दिया. बताया जाता है कि जेल में भी याह्या कैदियों के लीडर बन गए थे, और वह लोगों को अनुशासन में रखने का काम करते थे.


कैसे आए जेल से बाहर?


2011 में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच क़ैदियों की अदला बदली का समझौता हुआ. इजराइल के एक सैनिक गिलाड शलिट के बदले 1027 फलस्तीनी इसराइली और अरब कैदियों को रिहा किया गया. जिसमें याह्या सिनवार भी थे. जब याह्या फिलिस्तीन लौटे तो उन्हें तुरंत नेता के तौर पर कबूल कर लिया गया.


अपने ही साथी की हत्या


2015 में आरोप लगे कि उन्होंने अपने साथी कमांडर महमूद इश्तवी को टॉर्चर किया और फिर उनकी हत्या कर दी. याह्या को शक था कि इश्तवी ने पैसों की हेराफेरी की थी और वह समलैंगिक थे. फरवरी 2017 में सिनवार को गुप्त तौर पर गाजा पट्टी में इस्माइल हनियेह से पदभार लेते हुए हमास का नेता चुना गया. मार्च में, उन्होंने गाजा पट्टी के लिए हमास Hamas controlled administrative committee की स्थापना की.


इजराइल का मानना है कि सिनवार इस वक्त जमीन के नीचे हैं और भारी सिक्योरिटी के बीच हैं. उन्हें लगता है कि अगर वह किसी से राबता करेंगे तो उनके ठिकाने का सुराग खुफिया एंजेसियों को लग जाएगा. यूनिस कैंप का कसाई कहे जाने वाले याह्या ईरान के साथ मिलकर काम करते आए हैं, यही वजह है कि यह संगठन इतना मजबूत हो चुका है.