रांचीः फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से गठित एसआईटी की रिपोर्ट की बुनियाद पर झारखंड की कोल्हान यूनिवर्सिटी के कुलपति गंगाधर पंडा सहित 17 मुल्जिमों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इल्जाम है कि कम से कम 1130 लोगों को वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम से फर्जी डिग्रियां जारी की गई हैं. जिस वक्फे में ये फर्जी डिग्रियां जारी की गई हैं, उस दौरान गंगाधर पंडा इसी यूनिवर्सिटी में कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के ओहदे पर कार्यरत थे. एसआईटी ने इस मामले में उन्हें भी मुल्जिम बनाया है. इसकी खबर झारखंड पहुंचने के बाद शिक्षा जगत में हलचल मच गई है.

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2004 से 2014 के बीच जारी की गई हैं ये डिग्रियां 
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2004 से 2014 के बीच प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत लगभग छह हजार शिक्षकों की डिग्रियों का वेरिफिकेशन कराया था. इस दौरान वाराणसी के संपूणार्नंद संस्कृत विश्वविद्यालय की तरफ से जारी की गई 1130 डिग्रियां फर्जी पाई गई थी. इसके बाद एसआईटी ने जांच बढ़ाते हुए विद्याधर त्रिपाठी (कुलसचिव), सचिदानंद सिंह (सहायक कुलसचिव), इंदुपति झा और योगेन्द्र नाथ गुप्ता (उप कुलसचिव), कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक गंगाधर पंडा, दीप्ति मिश्रा, महेन्द्र कुमार, कृपाशंकर पांडेय, मिहिर मिश्रा, भगवती प्रसाद शुक्ला, हरि उपाध्याय, त्रिभुवन मिश्र, कौशल कुमार वर्मा, विजय मणि त्रिपाठी, विजय शंकर शुक्ला, मोहित मिश्रा, शशिन्द्र मिश्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.

गंगाधर पंडा की जा सकती है कुर्सी 
इस मामले में खास मुल्जिमों में से एक गंगाधर पंडा साल 2020 से झारखंड की कोल्हान यूनिवर्सिटी में कुलपति के ओहदे पर पदस्थापित हैं. संभावना है कि यह मामला सामने आने के बाद झारखंड सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.यूपी सरकार के विशेष सचिव मनोज कुमार ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र लिखकर फर्जी डिग्रियां जारी करने के मामले में पहचान किए गए सभी मुल्जिमों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था.


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