Libya: लीबिया में चुनौतीपूर्ण हालात के बाद पंजाब और हरियाणा के 17 भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक भारत वापस लाया गया है. विदेश मंत्रालय और ट्यूनिस में भारतीय दूतावास के साझा कोशिशों का सकारात्मक नतीजा सामने आया है. भारतीय रविवार शाम को दिल्ली पहुंचे. लीबिया में भारतीय दूतावास अप्रैल 2019 से बंद है और सभी कांसुलर जरूरतों को ट्यूनीशिया में भारतीय मिशन द्वारा नियंत्रित किया जाता है.


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यह कहानी 26 मई को शुरू हुई थी. जब फंसे हुए भारतीय नागरिकों के परिवार के सदस्यों ने ट्यूनिस में भारतीय दूतावास को उनकी स्थिति के बारे में बताया था. इन अफ़राद को भारत से तस्करी करके लाया गया था और लीबिया के ज़वारा शहर में एक सशस्त्र समूह द्वारा बंदी बना लिया गया था.  फ़ौरी जवाब देते हुए, भारतीय दूतावास ने संकट से निपटने के लिए एक योजना बनाई. मई और जून के पूरे महीनों में दूतावास के अधिकारी औपचारिक और अनौपचारिक दोनों माध्यमों से लीबियाई अधिकारियों के साथ संपर्क में रहे. इससे पहले भी इंडियन इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल तबस्सुम मंसूर ने उनकी मदद की थी. तबस्सुम लीबिया से भारतीय नागरिकों की वतन वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं. 2020 और 2011 में उन्होंने भारतीय नागरिको को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.


13 जून को एक महत्वपूर्ण सफलता तब मिली जब लीबियाई अधिकारियों ने फंसे हुए भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक बचाया. हालांकि, लीबिया में उनके गैरकानूनी प्रवेश के वजह से अफ़राद को शुरू में लीबिया की हिरासत में रखा गया था. ट्यूनिस में भारतीय राजदूत एन.जे. गंगटे और नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के रणनीतिक हस्तक्षेप से मामला सकारात्मक रूप से आगे बढ़ा.


लीबिया में उनके प्रवास के दौरान ट्यूनिस में भारतीय दूतावास ने फंसे हुए नागरिकों की सहायता की. उनकी समस्या को देखते हुए भोजन, दवाएं और कपड़े जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा किया. भारतीय नागरिकों के पास पासपोर्ट नहीं थे. उनकी भारत वापसी की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए आपातकालीन प्रमाणपत्र जारी किए गए थे. इसके अलावा भारतीय दूतावास ने वतन वापसी के लिए उड़ान टिकटों की व्यवस्था की. इसके बाद सभी 17 अगस्त को दिल्ली पहुंच गए. 


2014 से लीबिया में लंबे समय तक चले गृहयुद्ध को देखते हुए भारत सरकार ने 16 अप्रैल, 2016 को एक कड़ा रुख अपनाते हुए लीबिया पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था. इस एहतियाती उपाय का उद्देश्य संघर्षग्रस्त देश में बिगड़ते हालात के बीच भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था. 


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