Jammu and Kashmir News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का शनिवार को आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद यह चुनाव जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र ध्वज और संविधान के तहत होने वाला पहला विधानसभा चुनाव है. शाह ने कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) गठबंधन पर 'पुरानी व्यवस्था' को पुनर्जीवित करने की कोशिशें करने का इल्जाम लगाया. 


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जम्मू व कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश
अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी)-कांग्रेस गठबंधन पर अलगाववादियों और आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वालों की रिहाई की मांग करके जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश करने का इल्जाम लगाया. आगामी विधानसभा चुनावों से पहले जम्मू में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने क्षेत्र में आतंकवाद को फिर से भड़काने के प्रयासों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया.


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आतंकवाद को पनपाना चाहते हैं
शाह ने कहा कि "एनसी और कांग्रेस पत्थरबाजों को रिहा करना चाहते हैं. वे राजौरी और पुंछ में आतंकवाद को पनपाना चाहते हैं. हमने उपद्रवियों को जेल में डाल दिया है. वे चाहते हैं कि नियंत्रण रेखा के पार व्यापार फिर से शुरू हो. इससे किसे फायदा होगा?" शाह ने आरोप लगाया कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन, महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ मिलकर क्षेत्र को "आतंकवाद की आग में" धकेलना चाहता है. उन्होंने कहा, "तीन परिवारों ने जम्मू-कश्मीर को लूटा है. अगर एनसी और कांग्रेस सत्ता में आती है तो आतंकवाद वापस आ जाएगा. 


भाजपा नहीं होने देगी अन्याय
अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार आतंकवाद को फिर से सिर नहीं उठाने देगी और गुर्जर, पहाड़ी, बक्करवाल तथा दलित समेत किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने देगी, जिन्हें भाजपा सरकार ने आरक्षण दिया है. शाह 18 सितंबर से तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान को मजबूती देने के वास्ते जम्मू के दो दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने शुक्रवार को दौरे के पहले दिन पार्टी का चुनाव घोषणापत्र जारी किया और प्रचार रणनीति पर चर्चा के लिए सीनियर मंत्रियों के साथ दो अहम बैठकों की अध्यक्षता भी की.


राष्ट्रीय ध्वज के तहत चुनाव
गृह मंत्री ने शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं की एक रैली में कहा, "जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनाव ऐतिहासिक हैं, क्योंकि आजादी के बाद यहां पहली बार हमारे राष्ट्र ध्वज व संविधान के तहत चुनाव हो रहे हैं, जबकि पहले दो ध्वज और दो संविधान के तहत चुनाव होते थे. हमारे पास कश्मीर से कन्याकुमारी तक केवल एक प्रधानमंत्री है और वह नरेन्द्र मोदी हैं."