4 साल पहले खत्म हुआ जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा, SC आज सुनाएगा फैसला
Article 370 Verdict: जम्मू व कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ इसका स्पेशल दर्जा खत्म कर दिया गया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. आज इस पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.
Article 370 Verdict: साल 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था. इसके तहत J&K और लद्दाख को पुनर्गठित किया गया था. केंद्र के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर ली है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगा.
16 दिनों तक चली सुनवाई
5 सितंबर साल 2019 को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं, केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 16 दिनों तक सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बेंच में जस्टिस एस के कौल, संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं. न्यायमूर्ति कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे जबकि अन्य तीन न्यायाधीश भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं.
सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित
अदालत ने कुल 23 याचिकाओं पर सुनवाई की. इनमें कुछ ऐसे भी शामिल हैं जो 5 अगस्त, 2019 के बदलावों से पहले दायर की गई थीं. इनमें संविधान की धारा 35ए को चुनौती दी गई थी, जो जम्मू-कश्मीर को अपने स्थायी निवासियों के लिए विशेष कानून बनाने का अधिकार देती थी.
बढ़ाई गई सुरक्षा
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 370 पर फैसले से पहले, जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर सुरक्षा कड़ी कर दी है. सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है. बवाल करने वालों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
अफसरों के मुताबिक “फैसले से पहले सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं." एक सीनियर पुलिस अफसर ने कहा, "हम जमीन पर अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर रहे हैं और सोशल मीडिया गतिविधि पर नजर रख रहे हैं. हमने पहले ही कुछ जांच चौकियां स्थापित कर दी हैं और वाहनों और यात्रियों की जांच की जा रही है."
पार्टियों ने दिया रिएक्शन
इससे एक दिन पहले देश की कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट फैसले पर अपना रिएक्शन दिया था. भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा है कि इस बहुचर्चित मुद्दे पर सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह निर्णय 'लोगों और देश के हितों के पक्ष में' होने की संभावना नहीं है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कोई भी निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकता कि अदालत का फैसला क्या होगा. उन्होंने कहा, "हम इंतजार करेंगे और फिर तय करेंगे कि हमारी भविष्य की कार्रवाई क्या होनी चाहिए."