Umrah 2023: मक्का मकुर्रमा जाने की हर किसी मुस्लिम शख्स की ख्वाहिश होती है. वो वहां जाकर इबादत करना चाहता है और उन गलियों में घूमकर सुकून हासिल करना चाहता है. साथ ही हज/उमरा भी करना चाहता है. लेकिन बहुत ही कम लोगों की ये मुकद्दस ख्वाहिश पूरी हो पाती है. इसके पीछे ज्यादातर कमजोर आर्थिक हालात होते हैं. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो हर हफ्ता उमरा करते हैं. आज हम आपको एक ऐसी हो जोड़े के बारे में बताने जा रहे हैं. यह जोड़ा मस्जिद अल हरम में अपनी सेवाएं देता है. 


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लगभग 17 साल से यह जोड़ा मक्का में ग्रैंड मस्जिद के अंदर में अफनी खिदमत अंजाम दे रहा है. पति पत्नी दोनों दोनों यहां अपनी खिदमत अंजाम देते हैं. यह जोड़ा श्रीलंकाई का रहने वाला है और खुद को बहुत खुशनसीब समझता है. यह जोड़ा उन 12000 कर्मचारियों में शामिल है जो मस्जिद अल हरम की खिदमत करते हैं. 


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यह कहानी 17 साल पहले शुरू हुई थी जब फातिमा (एक श्रीलंकाई मुस्लिम महिला) को हरम मक्का में तीर्थयात्रियों की खिदमत करने के लिए सऊदी अरब जाने का मौका मिला था. कुछ साल बाद फातिमा ने गुजारिश की कि उनके पति अशरफ को भी यहां खिदमत करने के लिए बुला लिया जाए. इससे हम दोनों का अकेलापन भी हो जाएगा. आखिरकार 4 साल बाद फातिमा के कहने पर हरम मस्जिद के प्रबंधन ने उनके पति को श्रीलंका से बुला लिया ताकि वह भी हरम मक्का में काम कर सकें. 


फातिमा के मुताबिक, वह हरम शरीफ में कालीन और नमाज के कमरे में काम करती थी. फातिमा के पति अशरफ के मुताबिक, पत्नी के घर से दूर रहने की वजह से श्रीलंका में अकेले हो गए थे और इस दौरान उन्हें चैन सुकून नहीं मिलता था. लेकिन अल्लाह ने हमारी दुआ कुबूल की और आज हम दोनों ही इस मुकद्दस जगह पर हैं. अशरफ ने कहा कि अब वह और उनकी पत्नी फातिमा हरम शरीफ में एक साथ काम के सिलसिले में आते हैं और काम में एक-दूसरे की मदद करते हैं. 


अशरफ ने कहा कि वह और फातिमा हर हफ्ते उमराह करते हैं. अशरफ और फातिमा के मुताबिक, सऊदी अरब आने से उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है और अब उनका परिवार बहुत खुशहाल है. 


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