जयपुरः राजस्थान के कोटा जिले के एक प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई जा रही गुलमोहर नाम की किताब पर विवाद पैदा हो गया है. दूसरी क्लास के बच्चों को यह किताब पढ़ाई जा रही है. इल्जाम है कि इसमें समुदाय विशेष की भाषा के शब्द और नाम शामिल हैं. अभिभावकों का इल्जाम है कि इस किताब के जरिए पढ़ाई करवाने के चलते अब उनके बच्चे घर में ’अब्बू-अम्मी’ कहकर बुलाने लगे हैं और बिरयानी खाने की मांग करते हैं. इससे उनके धार्मिक संस्कार नष्ट हो रहे हैं.

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स्कूली शिक्षा के इस्लामीकरण का प्रयास 
एक अभिभावक ने कहा कि हमारे बच्चे रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं, लेकिन उसके व्यवहार में परिर्वतन आ रहा है. यह सब स्कूल में पढ़ाई जा रही किताब की वजह से हो रहा है. जब हमारा सात साल का बच्चा बिरयानी की मांग करता है, तो उसे समझाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वह वही बोल रहा है, जो उसे स्कूल में पढ़ाया गया है. बच्चे मम्मी-पापा के बजाए अम्मी-अब्बू बोलने लगे हैं. कुछ अभिभावकों ने इल्जाम लगाया है कि यह किताब स्कूली शिक्षा के इस्लामीकरण का एक प्रयास है. उनका कहना है कि कि यह किताब उनके बच्चों और हिंदू संस्कृति के बीच एक खाई पैदा कर रही है.


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बजरंग दल और विहिप के नेताओं ने की शिकायत 
गुलमोहर नाम की किताब हैदराबाद के एक प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की गई है. इसे सीबीएसई बोर्ड द्वारा कक्षा 2 के छात्रों के लिए जारी की गई है. दरअसल, सीबीएसई द्वारा जारी इस उक्त किताब में 113 पेज हैं और इसकी कीमत 352 रुपये है. इस मामले में बजरंग दल और विहिप के नेताओं ने राज्य के शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराई है. हालांकि सरकार या स्कूल प्रशासन की तरफ से इन आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.  


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