CAA लागू होने के बाद इस प्रक्रिया से भारत की नागरिकता ले सकते हैं, 5 देशों के हिन्दू अल्पसंख्यक
CAA Online Portal: इस कानून का मकसद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से इंडिया आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है. इसमें कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया है.
CAA Online Portal: देश में कुछ ही दिनों में लोकसभा इलेक्शन होने हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. ऐसे में देश भर में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है. इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स हैंडल से लिखा, "गृह मंत्रालय आज नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के प्रावधानों को लेकर नोटिफिकेश जारी करेगा. इससे सीएए-2019 के तहत योग्य कोई भी शख्स भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है."
इस कानून का क्या है मकसद
इस कानून का मकसद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से इंडिया आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है. इसमें कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया है. इस वजह से देश में सियासी बवाल मचा हुआ है. एक तरफ सरकार इस कानून को लागू करके अपनी पीठ थप-थपा रही हैं, वहीं, विपक्ष का कहना है कि ये संविधान के आर्टिकल के 14 का उल्लंघन है, जो देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. वहीं दूसरी तरफ मुस्लिमों का आरोप है कि इसके ज़रिए उन्हें बेघर करने के कदम उठाए जा रहे हैं.
विपक्ष ने लगाए ये इल्जाम
वहीं, विपक्षी नेताओं ने CAA कानून पर धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करने के इल्जाम लगाए गए हैं. भारतीय संविधान के मुताबिक, मुल्क में किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता, लेकिन इस कानून में मुसलमानों को नागरिकात देने का प्रावधान नहीं है. इसी वजह से धर्मनिरपेक्षता के उल्लंघन के इल्जाम लगाए जा रहे हैं.
ऐसे ले सकते हैं नागिरकता
देश में सीएए लागू होने के बाद सरकार ने एक पोर्टल भी तैयार किया है. जिसे कुछ ही वक्त में लॉन्च किया गया है. इसमें पड़ोसी देश से आने वाले अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच के बाद उन्हें भारतीय कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी. खास बात यह है कि इसके लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी.