नई दिल्लीः भाजपा के केन्द्रीय सत्ता में एकमात्र मुस्लिम चेहरा रहे केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मुख्तार अब्बास नकवी केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के साथ ही राज्य सभा में उपनेता की भी जिम्मेदारी संभाल रहे थे. दरअसल, नकवी का राज्यसभा का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है, लेकिन उन्होंने इससे एक दिन पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया. इस बार पार्टी द्वारा नकवी को किसी भी राज्य से राज्यसभा में नहीं भेजे जाने पर ये तय माना जा रहा था कि नकवी अब सदन के सदस्य नहीं रहेंगे. नकवी का राजनीति भविष्य अब जो भी हो, लेकिन उन्हें राज्यसभा नहीं भेजे जाने से केन्द्रीय मंत्रिपरिषद मुस्लिम अल्पसंख्यक विहीन हो गया है. अब सरकार के पास कोई दूसरा मुस्लिम अल्पसंख्यक चेहरा नहीं बचा है. यानी संसद के दोनों सदनों में भाजपा के करीब 400 सांसदों में एक भी सदस्य मुस्लिम समुदाय का नहीं होगा. 

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प्रधानमंत्री ने नकवी की जमकर तारीफ की 
खास बात यह है कि नकवी ने राज्यसभा में अपना कार्यकाल पूरा होने के ठीक एक दिन पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने से पहले बुधवार को ही दोपहर में नकवी ने भाजपा मुख्यालय जाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी. वहीं, दूसरी तरफ नकवी के इस्तीफे के ठीक पहले बुधवार को कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्तार अब्बास नकवी की जमकर तारीफ की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुल्क और लोगों की सेवा में नकवी के योगदान की सराहना की थी.

नकवी के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज 
मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद नकवी के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी या सरकार की तरफ से जल्द ही उन्हें बड़ी भूमिका दी जा सकती है. एक तरफ जहां नकवी को पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाने पर चर्चा चल रही है, वहीं यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में सरकार उन्हें राज्यपाल या उपराज्यपाल भी बना सकती है. ज्यादा संभावना है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया जाए और जम्मू कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बना दिया जाए. हालांकि औपचारिक तौर पर पार्टी या सरकार की तरफ से उनकी भविष्य की भूमिका को लेकर अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है. 

नकवी को फिर से नहीं मिला राज्यसभा जाने का मौका  
गौरतलब है कि भाजपा पर लोकसभा चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट न देने के आरोप लगते रहे हैं और पार्टी ने 2014 और 2019 दोनों आम चुनावों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देकर इन आरोपों पर मुहर भी लगा दी है. यहां तक कि उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था. नकवी 2010 से 16 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रहे हैं और फिर पार्टी ने 2016 से 2022 के लिए झारखंड से राज्ससभा भेजा था. 

केंद्रीय नेतृत्व से पहले ही हटाए जा चुके हैं सैयद शाहनवाज हुसैन  
वहीं, भाजपा में एक दूसरा और खास मुस्लिम चेहरा सैयद शाहनवाज हुसैन को माना जाता था. वह 2014 के आम चुनाव में बिहार के भागलपुर से चुनाव हारने के बाद पार्टी के प्रवक्ता बने रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में शाहनवाज को पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया न ही कोई बड़ी जिम्मदारी थी. इसके बावजूद पार्टी ने शाहनवाज को 2021 में बिहार में विधानपरिषद का सदस्य बनाकर बिहार सरकार में उद्यौग मंत्री का पद थमा दिया. शाहनवाज को केंद्रीय नेतृत्व से बिहार भेजने को कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने भाजपा की रणनीति का हिस्सा बताते हुए कहा था कि भाजपा शाहनवाज के बहाने बिहार में पार्टी की पकड़ मजबूत करना चाहती है, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने इस आकलन को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया था कि ये शाहनवाज को केंद्रीय राजनीति से हटाने के सिवा और कुछ नहीं है. 

जफर इस्लाम को भी राज्यसभा में नहीं मिला दोबारा मौका  
साल 2020 में उत्तर प्रदेश से अमर सिंह के निधन के बाद भाजपा ने जफर इस्लाम को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया था और उनकी जीत पक्की हुई थी. इससे पहले वह पार्टी के प्रवक्ता थे. जफर इस्लाम पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराने, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत करने और भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका मानी गई थी. कहा गया था कि भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर मध्यप्रदेश का ईनाम दिया था. लेकिन 2022 में जफर इस्लाम का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पार्टी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा. पिछले महीने 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, क्योंकि 21 जून से एक अगस्त के बीच इन सीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों का कार्यकाल ख़त्म हो रहा था. इनमें नकवी के अलावा भाजपा के सांसद एम जे अकबर और सैयद जफर इस्लाम भी शामिल थे. अब मुख्तार अब्बास नकवी के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद भाजपा नीत केंद्र सरकार में या संसद में कोई मुस्लिम अल्पसंख्यक चेहरा नहीं बचेगा, जो निश्चित तौर पर  पार्टी के ’सबका साथ, सबका विकास’ के दावे पर प्रश्न खडे़ कर देगा.


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