मेदिकेरीः उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम के बाद अब कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने भी रियासत में अरबी स्कूलों के सर्वे का हुक्म दिया है. कर्नाटक सरकार ने स्टेट एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से तयशुदा सिलेबस का मुबय्यना (कथित) तौर पर ख़िलाफ़वर्ज़ी करने पर अरबी मीडियम वाले स्कूलों के सर्वे का हुक्म दिया है. हालांकि कर्नाटक सरकार ने यह कदम स्टूडेंट के गार्जियन की तरफ से एजुकेशन डिपार्टमेंट से कथित तौर पर शिकायत किए जाने के बाद उठाया है. हालांकि कर्नाटक की कुछ मुस्लिम तंज़ीमों ने सरकार के इस फैसले की मज़म्मत (आलोचना) की है और इसे अपनी अरबी स्कूलों के मैनेजमेंट में ग़ैर-ज़रूरी दख़लअंदाज़ी बताया है. 

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आम स्कूलों के मुक़ाबले पिछड़ रहे हैं अरबी स्कूल के बच्चे 
शिकायत में कहा गया है कि अरबी स्कूलों में पढ़ने वाले उनके बच्चे दूसरे स्कूलों के स्टूडेंट की तरह नहीं हैं. वह दूसरे स्कूलों के मुक़ाबले में काफी कमज़ोर हैं. कर्नाटक के प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर बी. सी. नागेश ने कहा, ‘‘हाल में हमें कई गार्जियन की तरफ से शिकायत मिली है कि उनके बच्चे (अरबी स्कूलों के स्टूडेंट) दूसरे स्टूडेंट की बराबरी नहीं कर पाते हैं, क्योंकि अरबी स्कूलों में एजुकेशन का लेवल काफी कम है. इसलिए हमने अरबी स्कूलों का सर्वे कराने का फैसला किया है.

कर्नाटक में लगभग 200 अरबी स्कूल 
मिनिस्टर के मुताबिक़ कर्नाटक में लगभग 200 अरबी स्कूल हैं, जिनमें से 106 को सरकार से ग्रांड मिलती है. नागेश ने कहा कि सभी अरबी स्कूल कर्नाटक एजुकेशन क़ानून के तहत रजिस्टर्ड है और वे कर्नाटक सरकार के रूल्स-क़ानून मानने के लिए पाबंद हैं. वज़ीर ने कहा, ‘‘जैसा की आप जानते हैं कि बच्चों को साइंस और कुछ ज़बानें जाननी चाहिए, लेकिन इसे सही तौर पर नहीं पढ़ाया जा रहा है. इसलिए हमने कमिश्नर और असिस्टेंड कमिश्नर (एजुकेशन डिपार्टमेंट ) से कहा कि वह मामले की पड़ताल कर रिपोर्ट दें.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम स्कूल सरकारी सिलेबस पर अमल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इन स्कूलों पर ज़रूरी कार्रवाई करेगी. 


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