Bangladeshi Pilgrims Reached Ajmer: मशहूर सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का सालाना उर्स अक़ीदत व एहतेराम के साथ मनाया जा रहा है, जिसमें शिरकत करने के लिए देश-विदेश से ज़ायरीन के दरगाह पहुंचने का सिलसिला जारी है. उर्स में  शिरकत करने और ज़ियारत के लिए पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से 500 अक़ीदतमंदों ने दरगाह में हाज़िरी दी. ज़ायरीन ने मखमली चादर व अक़ीदत के फूल पेश किए उन्हें दरग़ाह शरीफ के ख़ादिम सैयद नदिम चिश्ती और सैयद फ़ख़्रे मोईन चिश्ती ने ज़ियारत कराई.


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भारत- बांग्लादेश में ख़ुशहाली की दुआ
बांग्लादेश की तरफ़ से चादर के जुलूस का पन्नीग्राम से आग़ाज़ होकर दरग़ाह शरीफ के ख़ादिम सैयद नदीम चिश्ती के घर में महफ़िल शुरू होती हैं जिसमे दरग़ाह शरीफ़ के शाही चौकी के कव्वालो ने ख्वाजा साहब की शान में सूफियाना कलाम पेश किया. जिसमें बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की. बांग्लादेश की तरफ़ से चादर के जुलूस के आगे ढोल नगाड़ों से माहौल में जोश भरा हुआ था. जुलूस पन्नीग्राम से इमामबाड़ा, डोलिवान चौक, छोटा चौक बड़ा चौक होते हुए छतरी गेट होते हुए दरग़ाह शरीफ के गेट नम्बर 5 से दरबार में जाते है. ज़ियारत के बाद सभी बांग्लादेश के ज़ायरीन ने शाहजहानी मस्जिद में दोनों मुल्कों की खुशहाली की दुआ मांगी. पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से उर्स के मौके पर हजारों जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आते रहे हैं. इस बार भी बांग्लादेश से जायरीन का जत्था अजमेर पहुंचा.



बांग्लादेश से 500 अक़ीदतमंदों पहुंचे
सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के अक़ीदतमंदों की दुनिया में कोई कमी नहीं है. देश ही नहीं, विदेशों से भी ग़रीब नवाज़ के उर्स के मौक़े पर  लोग अपनी अक़ीदत का नज़राना पेश करने उनकी  दरगाह में आते हैं. उर्स के मौक़े पर बांग्लादेश से 500 अक़ीदतमंदों ने अपने देश के ज़ायरीन की तरफ से दरगाह में चादर पेश की. इस दौरान बांग्लादेशी ज़ायरीन ने दरगाह की शाहजहानी मस्जिद में मुल्क में अमन चैन और ख़ुशहाली की दुआ मांगी. साथ ही भारत- बांग्लादेश के रिश्ते और ज़्यादा मज़बूत होने की दुआ की गई.  बांग्लादेशी जत्थे का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद अब्दुल रज़्ज़ाक़ ने बताया कि कई साल से बांग्लादेश से ज़ायरीन का जत्था उर्स के मौक़े पर ज़ियारत के आता रहा है. इस बार बांग्लादेशी जत्थे को वीजा आसानी से नही मिला. उन्होंने भारत सरकार से दरख़्वास्त की है कि वीजा की प्रक्रिया को आसान करे ताकि ज्यादा से ज्यादा बाग्लादेश जायरीन बारगाहे गरीब नवाज में अपनी हाज़िरी दे सकें.


 


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