Love Jihad: जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulama I Hind) ने सुप्रीम कोर्ट में एक ट्रांसफर याचिका दायर की है जिसमें छह हाईकोर्ट में धर्मांतरण से जुड़े कानूनों के खिलाफ लंबित 21 मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की गुज़ारिश की है. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के ज़रिए नियुक्त सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने याचिका का उल्लेख किया और शिकायत की कि रजिस्ट्री ने स्थानांतरण याचिका को नंबर देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सभी याचिकाकर्ताओं की सहमति ज़रुरी है. 


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कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 139 (A) 1 के तहत, कोई भी शख्स अलग-अलग हाईकोर्ट में लटकी सभी अर्जियों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए अर्ज़ी दे सकता है. अगर याचिकाकर्ता किसी एक हई कोर्ट का पक्षकार है. हालांकि, इस याचिकाकर्ता का सभी अदालतों में पक्षकार होना जरूरी नहीं है. जबकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद गुजरात उच्च न्यायालय में एक पक्षकार है, यह उसका कानूनी हक है.


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चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले पर गौर करने के लिए सहमत हुए हैं और इसे अन्य धर्मांतरण मुक़दमे से जोड़ने का हुक्म दिया. जब दोपहर को सभी मामलों पर सुनवाई शुरू हुई तो सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच जमीअत की अर्ज़ी पर गौर करने के लिए सहमत हुई और इसे अन्य धर्मांतरण मुक़दमों के साथ लिस्ट करने का हुक्म दिया. अब शुक्रवार 3 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी.


जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ज़रिए दाखिल लव जिहाद मामलों के ऑन-रिकॉर्ड एडवोकेट एमआर शमशाद ने कहा कि जब सीजेआई को केस नंबर देने के बारे में रजिस्ट्री की आपत्ति के बारे में याद दिलाया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हों इसकी इजाज़त देते हुए दर्ज करने की हिदायत दे है. 


हालांकि अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमानी ने ट्रांसफर याचिका पर आपत्ति जाहिर की और कहा कि ये कानून राज्य के कानून के माध्यम से अस्तित्व में आए हैं, इसलिए उच्च न्यायालयों को पहले इनकी सुनवाई करनी चाहिए.


इस मामले में जमीयत उलेमा हिंद के वकील एडवोकेट नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कुल 6 हाईकोर्ट में मामले लटके हैं. दो राज्यों, गुजरात और मध्य प्रदेश में, संबंधित हाई कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर आंशिक रूप से रोक लगा दी है. इन दोनों हाईकोर्ट में जमीयत उलेमा हिंद पक्षकार है. वहां की सरकारों ने बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.


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