ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की निकाह को लेकर बड़ी बैठक, हुए ये अहम फैसले
दहेज को लेकर फैसला लिया गया है कि दहेज के नाम पर लड़की के ससुराल वालों पर किसी भी तरीके का दबाव न बनाया जाये और ना ही दहेज का लेनदेन हो क्योंकि इस्लाम में दहेज का लेना और देना हराम करार दिया गया है.
नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में शादी और निकाह को आसान बनाने के मक़सद से आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने एक ख़ास इकरारनामा जारी करते हुए मस्जिदों के इमामों से अपील की है के इस इकरारनामें को जुमे की नमाज के दौरान होने वाले ख़ुतबे में मुसलमानों को पढ़कर सुनाया जाये.
पढ़ें इकरारनामा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन मीटिंग के बाद बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम रहनुमा मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बताया कि इस इकरारनामें में बताया गया है कि निकाह के मौके पर किसी भी तरीके का म्यूजिक डीजे या नाच गाना ना किया जाए. उन्होंने कहा के दहेज़ के नाम पर लड़की के ससुराल वालों पर किसी भी तरीके का दबाव न बनाया जाये और ना ही दहेज का लेनदेन हो क्योंकि इस्लाम में दहेज का लेना और देना हराम करार दिया गया है.
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मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की दहेज के खिलाफ अभियान के तहत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की जानिब से इकरारनामा तैयार किया गया है. जिसमें निकाह को एक इबादत की तरह करने पर जोर दिया जायेगा. जिसमें शादीशुदा जोड़ों यानी मियां बीवी को उनके शरई हकूक से वाकिफ कराने पर ख़ास ज़ोर दिया जायेगा.
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