ईलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. शुक्रवार 27 अक्टूबर को अपने एक आदेश में अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी अश्लील पोस्ट को लाइक करना कोई अपराध नहीं है. अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, इस तरह की पोस्ट को शेयर करना या दूबारा पोस्ट करना सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 67 के तहत अपराध माना जाएगा और सज़ा हो सकती है. 


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किस मामलें में की टिप्पणी?
न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने आगरा के मोहम्मद इमरान के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अन्य धाराओं के तहत चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है. गैरकानूनी जमावड़े के लिए किसी अन्य व्यक्ति की पोस्ट को लाइक करने के वजह से मोहम्मद इमरान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया  गया था. न्यायाधीश ने कहा, "मुझे ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली जो याचिकाकर्ता को किसी आपत्तिजनक पोस्ट से जोड़ सके, क्योंकि याचिकाकर्ता के फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट उपलब्ध नहीं है. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है" उन्होंने आगे कहा, "आईटी अधिनियम के तहत आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित करना एक अपराध है. इस मामले में याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी जमावड़े के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को लाइक किया, लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करना, पोस्ट के प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं होता. इसलिए केवल पोस्ट को लाइक करने पर आईटी एक्ट की धारा 67 नहीं लगेगी" अदालत ने कहा, ‘‘वैसे भी आईटी अधिनियम की धारा 67 आपत्तिजनक सामग्री के लिए है, न कि भड़काऊ सामग्री के लिए". 



क्यों दर्ज हुआ था मुकदमा 


याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान के खिलाफ दर्ज किया गया आपराधिक मामला सोशल मीडिया पर 'भड़काऊ' संदेशों को 'लाइक' करने का है. उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. पत्र के आरोपों रे मुताबिक पोस्ट के बाद बिना इजाज़त के जुलूस में शामिल होने के लिए मुस्लिम समुदाय से संबंधित लगभग 600-700 लोग इकट्ठा हो गए थे. इसकी शिकायत के बाद आगरा की एक अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए 30 जून, 2023 को मोहम्मद इमरान के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था.