Allama Iqbal: शायर-ए-मश्रिक यानी अल्लामा इकबाल, जिन्होंने 'सारे जहां से अच्छा-हिंदोस्तां हमारा' और 'लब पे आता ही दुआ बनके तमन्ना मेरी' जैसी अनगिनत नज्में लिखी हैं. लेकिन अब उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के सिलेबस से बाय-बाय कह दिया गया है. एक खबर में दावा किया गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद ने शुक्रवार यानी 26 मई को सिलेबस से जुड़े कई अहम बदलाव किये हैं. इन्हीं बदलावों के तहत अल्लामा इकबाल को पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से हटा दिया गया है.


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हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक- यूनिवर्सिटी के रजिसट्रार ने बताया कि यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने पाठ्यक्रम में कई अहम तब्दीलिया की गई हैं. उन्होंने बताया,"विभाजन, हिंदू और जनजातीय अध्ययन के लिए नए केंद्र बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई है." उन्होंने यह भी बताया,"शायर अल्लामा इकबाल को भी सिलेबस से हटा दिया गया." अल्लामा इकबाल को BA के पॉलिटिकल साइंस के मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट में पढ़ाया जाता था. 


बताया जा रहा है कि काउंसिल में जिन प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाई है उनपर दिल्ली यूनिवर्सिटी की एग्जिक्यूटिव काउंसिल को आखिरी मुहर लगानी है. काउंसिल के ज़रिए इस फैसले का भाजपा के छात्र संगठन (ABVP) ने स्वागत किया है. एबीवीपी की तरफ से  फैसले को लेकर कहा गया है कि कट्टर धार्मिक विद्वान को सिलेबस से हटाना सही है. 


बता दें कि अल्लामा इकबाल को पाकिस्तान की स्थापना की मांग करने वालों में शामिल किया जाता है. इकबाल ने जिन्ना को लंदन में अपने आत्म निर्वासन को खत्म करने और भारत की सियासत में फिर से दाखिल करने के लिए प्रेरित किया था. जिन्ना और इकबाल के कई अहम किस्से इतिहास के किताबों में हैं. इसके अलावा इकबाल को पाकिस्तान दार्शनिक पिता भी कहा जाता है. इकबाल को उर्दू और फ़ारसी में उनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है.


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