America Attack: अमेरिका ने ईरान और उसके द्वारा समर्थित ‘मिलिशिया’ (असैन्य लड़ाकों) को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने पश्चिम एशिया में तैनात अमेरिकी बलों को निशाना बनाना जारी रखा तो वह फिर जवाबी कार्रवाई करेगा. जॉर्डन में हाल में ईरान समर्थित समूह के ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी और 40 से अधिक सैनिक घायल हो गए थे.


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अमेरिका ने किए थे हमले
अमेरिका ने जॉर्डन में अपने सैनिकों पर हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया और ईरानी ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ के 85 ठिकानों पर शुक्रवार को हमले किए. इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने शनिवार को भी यमन में हूती-नियंत्रित क्षेत्रों पर हमले किए. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि यदि ईरान ने अमेरिका के खिलाफ ‘‘सीधे जवाब देने का विकल्प’’ चुना तो उसे ‘‘त्वरित और कड़ी प्रतिक्रिया’’ के लिए तैयार रहना चाहिए.


युद्ध नहीं चाहता ईरान
सुलिवन ने कहा, ‘‘हम इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया या हूती विद्रोहियों द्वारा भविष्य में किए जा सकने वाले हमलों की आशंका से इनकार नहीं कर सकते.’’ जब ईरान के भीतर हमले किए जाने की संभावना के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि बाइडन ‘‘व्यापक पैमाने पर युद्ध नहीं चाहते.’’ लेकिन जब उनसे ईरान द्वारा प्रत्यक्ष हमले की आशंका के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘यदि उन्होंने अमेरिका को सीधे जवाब देने का विकल्प चुना तो उन्हें हमारी ओर से त्वरित और कड़ी प्रतिक्रिया मिलेगी.’’ 


ईरान की बढ़ी बेचैनी
दूसरी ओर, ईरान ने पश्चिम एशिया में उन दो मालवाहक पोतों को निशाना बनाए जाने की आशंका को लेकर अमेरिका को चेतावनी जारी की है, जिन पर ईरान के ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ के लिए जासूसी करने का संदेह है. ‘बेहशाद’ और ‘सविज’ पोतों पर हमले की आशंका को लेकर ईरान का यह बयान हाल के दिनों में इराक, सीरिया और यमन में इस्लामिक गणराज्य द्वारा समर्थित मिलिशिया को निशाना बनाकर किए गए अमेरिकी हमलों को लेकर तेहरान की बढ़ती बेचैनी की ओर इशारा करता है. ईरान की नियमित सेना द्वारा रविवार को जारी बयान में कहा गया, ‘‘बेहशाद या इसी तरह के पोतों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोग अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों एवं सुरक्षा को खतरे में डालते हैं और भविष्य में हो सकने वाले अंतरराष्ट्रीय जोखिमों के लिए जिम्मेदार हैं.’’