Arvind Kejriwal Hearing: जैसे ही दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को शराब नीति मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई शुरू की, वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि गिरफ्तारी के समय से लोकतंत्र के मुद्दे की बू आती है जैसा कि याचिकाकर्ता (केजरीवाल) करेंगे. चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे. यह गिरफ्तारी पहला वोट पड़ने से पहले ही पार्टी (आम आदमी पार्टी) को ध्वस्त करने की कोशिश है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केजरीवाल की गिरफ्तारी की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए, उनके वकील ने तर्क दिया: “लेवल प्लेइंग फील्ड केवल एक फरेज नहीं है, बल्कि इसके तीन हिस्से हैं-- यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का हिस्सा है, जो बदले में, लोकतंत्र और बुनियादी ढांचे का हिस्सा है. इसमें समय के मुद्दे की बू आती है - चुनाव में भाग न लेना और पहला वोट पड़ने से पहले राजनीतिक दल को गिराने की कोशिश करना.


सिंघवी ने तर्क दिया कि 30 अक्टूबर, 2023 (पहले समन की तारीख) और 16 मार्च (9वें समन की तारीख) के बीच, ईडी को पीएमएलए की धारा 50 का समर्थन करने वाली कोई सामग्री नहीं मिली है. केजरीवाल के वकील ने कहा कि ईडी रिमांड आवेदन में कहा गया है कि वे मुख्यमंत्री की भूमिका का पता लगाना चाहते हैं जो गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता है.


बता दें, 1 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट मुख्यमंत्री के जरिए अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.