Asaduddin Owaisi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की. इसके बाद सीमा मुद्दे पर मोदी सरकार पर चीन के सामने घुटने टेकने का इलज़ाम लगाते हुए AIMIM सद्र असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार को मुल्क को बताना चाहिए कि उसने 19 दौर में चीन के साथ क्या चर्चा की है? 


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एक संवाददाता सम्मेलन को ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री बातचीत के लिए चीनी राष्ट्रपति के पीछे क्यों भाग रहे हैं, और सरकार लद्दाख में जो हो रहा है. उसके बारे में देश को अंधेरे में क्यों रख रही है?"


ओवैसी ने कहा, "पीएम ने बाली में चीनी राष्ट्रपति से बात की, लेकिन देश को एक महीने बाद पता चला कि किसी तरह का समझौता हुआ है. प्रधानमंत्री ने 23 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी और अगले दिन देश को इसके बारे में पता चला जब चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह बैठक प्रधानमंत्री के अनुरोध पर हुई थी."


उन्होंने कहा, "चीन के साथ 19 दौर की बातचीत हुई है? जानना चाहता हूं कि नतीजा क्या निकला? क्या चीन ने हमें उन 25 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर गश्त करने की इजाजत दी है? जहां उसने हमें गश्त करने से रोका था? क्या चीन ने हमें देपसांग और डेमचोक में गश्त करने की इजाजत दी है? कुछ नहीं हो रहा है. यह सरकार चीनियों के सामने क्यों झुक रही है."


ओवैसी ने यह भी पूछा, "मोदी सरकार सीमा संकट के समाधान के रूप में कुछ भी कबूल करने के लिए सेना पर दबाव क्यों डाल रही है?" उन्होंने कहा, वह मई 2020 की यथास्थिति पर लौटने पर जोर क्यों नहीं दे रही है? हम क्या छुपा रहे हैं. लद्दाख में क्या हो रहा है. सैटेलाइट तस्वीरें बिल्कुल स्पष्ट हैं. हम डेपसांग और डेमचोक में गश्त करने में सक्षम नहीं हैं. लद्दाख के आईपीएस अधिकारी ने डीजीपी कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से कहा कि हम 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट में से 25 पर गश्त नहीं कर सकते. यह ज़मीन हमारे देश की है. यह बीजेपी या किसी राजनीतिक दल की कोई निजी संपत्ति नहीं है. यह जमीन हमारे देश की सुरक्षा से गहराई से जुड़ी हुई है."


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