गुवाहाटीः असम सरकार राज्य में बहुत जल्द समान नागरिक संहिता लागू कर सकते हैं. कई मौकों पर वह इसके संकेत दे चुके हैं. इससे पहले उन्होंने कथित तौर पर अवैध मदरसों पर बुल्डोजर चलाकर और कुछ सरकार पोषित मदरसों को स्कूल में तब्दील कर इस्लामी शिक्षा व्यवस्था पर चोट कर चुके हैं. वही,ं राज्य में पिछले कुछ माह में बाल बिवाह प्रथा पर रोक के बाद सैंकड़ों मुसलमानों और उनकी शादी कराने वाले मौलवियों और काजियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. सरकासर आने वाले दिनों में बहुविवाह प्रथा पर रोक के लिए कानून ला सकती है. 
वहीं, सोमवार को असम के मुख्यमंत्री ने एक और बयान देकर प्रदेश में झाड़फूक कर लोगों की परेशानियां दूर करने वाले कथित मौलवी, पीर, फकीर और साधू-संतों का टेंशन बढ़ा दिया है. सीएम हेमंत विश्वा सर्मा ने साफ तौर पर कहा है कि वह आने वाले दिनों में प्रदेश में हीलिंग झाड़फूक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देंगे. 


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देखा जाए तो असम में झाड़ फूंक का काम सिर्फ मुसलमान ही नहीं करते हैं, बल्कि दूसरे समूदायों में भी ये प्रथा आम है. सभी लोग झाड़फूंक करते और कराते हैं. यानी एक बड़ी आबादी इसपर भरोसा करती है. लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद झाड़फूंंक करने वालों का तनाव बढ़ गया है. हालांकि, लोगों को इस बात को लेकर संशय भी है कि मुख्यमंत्री सही में प्रदेश में झाड़फूक पर रोक लगा देंगे या फिर उनका इशारा सिर्फ सांसद और असम के मुस्लिम नेता मौलाना बदरुद्दीन अजमल की तरफ है, क्योंकि अजमल कई मौकों पर झाड़फूंक करते देखे और पाए गए हैं.
इसके साथ ही सर्मा ने कहा है कि वह प्रदेश में निजी तौर पर ब्याज पर रुपया कर्ज देने और लेने पर भी रोक लगाएंगे.


सोमवार को असम के मुख्यमंत्री ने साफ तौर से 2024- 25 के बजट को सभी असमवासी और जाति धर्म के लोगों की उन्नति वाला बजट बताया था. वहीं विरोधी एआईयूडीएफ और कांग्रेस दल के विधायकों ने भी साफ तौर से कहा इस बजट में कुछ नहीं है. एआईयूडीएफ के वरिष्ठ विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा कि इस बजट में माइनॉरिटी के लिए तो कुछ नहीं है. 



गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की रिपोर्ट