Ayodhya Communal Clash: आयोध्या की एक लोकल अदालत ने अयोध्या दंगा के आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया है. अयोध्या में साल 2012 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इस बात की जानकारी जिला शासकीय अधिवक्त राम कृष्ण तिवारी ने दी. उनके मुताबिक "फैजाबाद के जिलाधक्ष संजीव फौजदार की अदालत ने अक्टूबर 2012 में दुर्गा पूजा के जुलूस के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों के सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है."


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गवाह मुकर गए


तिवारी ने आगे बताया कि "मामले के सभी गवाह मुकर गए और पुलिस मुल्जिमों के खिलाफ कोई सुबूत पेश करने में नाकाम रही, इसलिए अदालत ने सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया."


क्या था मामला?


उन्होंने जानकारी दी कि "24 अक्टूबर 2012 की शाम को कुछ नामालूम लोगों की तरफ से देवी दुर्गा की मूर्तियों को तोड़े जाने की अफवाह के बाद दंगा बड़का. बेकाबू भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय की दुकानों, कारोबारी यूनिटों और घरों को निशाना बनाया. दंगों में दर्जनों दुकानों और घरों को जला दिया गया और लूट लिया गया."


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अखिलेश यादव की थी सरकार


दुर्गा पूजा जुलूस की कयादत समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता मनोज जायसवाल कर रहे थे. वह उस वक्त अयोध्या-फैजाबाद दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष थे. उस वक्त समाजवादी पार्टी सत्ता में थी और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों को भी आग के हवारे कर दिया था. भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया था.


समाजवादी पार्टी के नेता नारायण उर्फ पवन पांडे 2012 में अयोध्या से समाजवादी पार्टी के तौर पर इलेक्शन जीते थे. 


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