मलिका-ए-गजल: 4 साल की उम्र खा लिया था ज़हर, सिगरेट के लिए ट्रेन के गार्ड से छीन ली थी लालटेन
अपने गज़ल गायकी के लिए लोगों के दिलों पर राज करने वाली अख्तरी बाई यानी बेगम अख्तर का आज जन्मदिन है. वो साल 7 अक्टूबर 1914 में फैज़ाबाद में पैदा हुई थीं. जिंदगी कई मुश्किलों से गुज़रीं लेकिन उनके फन पर जरा भी असर नहीं पड़ा, क्योंकि वो खुदा की देन था. बेगम अख्तर से जुड़े दिलचस्प किस्से
Beghum Akhtar Story: गजल मल्लिका कही जाने वाली दिग्गज गुलूकारा बेगम अख्तर का आज जन्मदिन है. 7 अक्टूबर 1914 को फैज़ाबाद में जन्मी बेगम अख्तर को अख्तरी बाई फैज़ाबादी के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने तकरीबन चार दहाइयों तक अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है. जिसके बदले उन्हें बेशुमार दाद और लोगों का प्यार मिला है. खालिस उर्दू भाषा बोलने वाली बेगम अख्तर उनके बेहतरीन काम की वजह से मल्लिका-ए-गज़ल भी कहा जाता था. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.
बेगम अख्तर का पहला प्रोग्राम
बेगम अख्तर को गाने का बहुत शौक था, सोने पर सुहागा यह था कि कुदरत ने बहुत ही सुरीली आवाज का से नवाज़ा था. इसलिए, उनके चाचा ने उन्हें पटना के मशहूर सारंगी उस्ताद इमदाद अली खान के पास भेजा. जहां उन्होंने अपनी शुरुआती संगीत शिक्षा हासिल की. बाद में उन्हें पटियाला परिवार के अत्ता मुहम्मद खान से भी सीखने का मौका मिला. बेगम अख्तर ने महज़ 15 वर्ष की उम्र में बिहार के जलजला पीड़ित लोगों की मदद के लिए कलकत्ता में पहला प्रोग्राम किया था. उनके फन की महारत देखकर सरोजनी नायडु ने कहा था कि आप के गले की तरबियत तो खुद कुदरत ने की है.
चार वर्ष की उम्र में खाली थी जहरीली मिठाई
बेगम अख्तर शादीशुदा वकील असगर हुसैन और तवायफ मुश्तरीबाई की बेटी थीं. मुश्तरीबाई को जुड़वां बेटियां पैदा हुई थीं लेकिन उनकी जुड़वा बहन की बहुत जल्द ही इस दुनिया चली गई थीं. दरअसल चार साल की उम्र में दोनों बहनों ने जहरीली मिठाई खा ली थी. इसमें बेगम अख्तर तो बच गईं लेकिन उनकी बहन को नहीं बचाया जा सका. असगर ने भी मुश्तरी और बेटी बिब्बी को छोड़ दिया था जिसके बाद दोनों को अकेले ही संघर्ष करना पड़ा और अपने फन से खूब नाम कमाया.
सिगरेट के लिए ट्रेन के गार्ड से छीन ली थी लालटेन
बेगम अख्तर बहुत दिनों तक तन्हा रही हैं. हालांकि उन्हें तन्हाई से बहुत डर भी लगता था. इसी अकेलेपन की वजह से उन्होंने शराब और सिगरेट पीना शुरू कर दी थी. उन्हें सिगरेट इतनी तलब थी की रमजान की पवित्र महीने में पूरे रोज़े भी नहीं रख पाती थी. एक जानकारी के मुताबिक बेगम अख्तर सिर्फ 8-10 रोजे ही रख पाती थी. क्योंकि वो सिगरेट से ज्यादा दूर नहीं रह पाती थीं. उनकी सिगरेट का एक किस्सा कुछ यूं भी है कि एक बार रात में किसी स्टेशन पर उनकी ट्रेन रुकी और बेगम को सिगरेट खरीदनी थी लेकिन वहां मिल नहीं रही थी. जिसके बाद उन्होंने गार्ड से लालटेन वगैरह भी छीन ली थी. बेगम अख्तर के इस रवैये को देखकर गार्ड ने उन्हें कहीं से सिगरेट लाकर दी.
बेगम अख्तर की शादी
उनकी पर्सनल जिंदगी की तरफ नजर डालें तो उन्होंने लखनऊ के मशहूर बेरिस्टर इश्तियाक अहम अब्बासी से उस वक्त शादी की थी जब वो उरूज पर थीं. हालांकि अब्बासी के खानदान ने उनके गाने-बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. जिसके चलते तकरीबन उन्हें 5 वर्षों तक गुलूकारी से अलग रहना पड़ा. कहा जाता है को बेगम अख्तर की रगों में संगीत दौड़ता था. इसलिए उससे अलग रह पाना शायद मुश्किल था. एक रोज़ बेगम अख्तर शदीद तौर पर बीमार हो गई थीं. इसी दौरान उन्हें लखनऊ के एक रेडियो स्टेशन पर प्रोग्राम में हिस्सा लेने का मौका मिला और वो यहां फूट-फूट कर रोने लगीं थी. इस प्रोग्राम के बाद से बेगम अख्तर की तबीयत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा और वह ठीक हो गईं, जिसके बाद उन्होंने अपना गाना बजाने जारी रखा.