Munawwar Rana Shayari​: उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना का 14 जनवरी की देर रात इंतकाल हो गया. लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली. वह 71 साल के थे. वह लंबे वक्त से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे, और अभी हॉस्पिटल में ही भर्ती थे. बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई है. उनके करीबी लोगों ने उनकी मौत की तस्दीक की है. शायर की मौत पर देश और दुनियाभर में उनके चाहने वालों ने अफसोस का इजहार किया है. 


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पूरी दुनिया वाकिफ़ है कि जब कभी मां के लिए किसी शेर की ज़रुरत पड़ती है, तब शायर मुनव्वर राना के शेर याद आते हैं. पेश हैं मुनव्वर राना की कुछ चुनिंदा शायरी जो मां के लिए है.


1. "मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना."


2. "लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती."


3. "जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा."


4. "किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई."


5. "ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया."


6. "इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है."


7. "मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ.


8. "ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे."


9. "अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है."


10. "दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है.''