चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) की तरफ से 27 सितंबर को पेश विश्वास प्रस्ताव सोमवार को सर्वसम्मति से पास  हो गया. वहीं, कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया जबकि भारतीय जनता पार्टी के दोनों विधायक पहले ही सत्र का बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके थे. उन्होंने आप सरकार पर विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाकर संविधान की खिलाफवर्जी करने का इल्जाम लगाया है. विश्वास प्रस्ताव पर लंबी बहस के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने इस पर मतदान कराया. उन्होंने प्रस्ताव का हिमायत करने वाले विधायकों से हाथ उठाने को कहा था और इसके बाद उन सदस्यों की राय ली जो प्रस्ताव के खिलाफ थे. 


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आप के 91 विधायकों ने प्रस्ताव की हिमायत की
नतीजों का ऐलान करते हुए स्पीकर संधवान ने कहा कि आप के 91 विधायकों ने प्रस्ताव की हिमायत की है. उन्होंने यह भी कहा कि सदन में मौजूद शिरोमणि अकाली दल के तीन विधायकों में से एक विधायक और बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया. मतदान के वक्त कांग्रेस और भाजपा का कोई भी विधायक सदन में मौजूद नहीं था और एकमात्र निर्दलीय विधायक भी सदन में मौजूद नहीं थे. सदन में आप के पास विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 92 विधायक हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, “93 विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है, और कोई भी इसके खिलाफ नहीं है. इसलिए प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया जाता है.” 


भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप लगाया 
गौरतलब है कि पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 18, शिअद के तीन और भाजपा के दो सदस्य हैं. इससे पहले विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए आम आदमी पार्टी के विधायकों ने ’ऑपरेशन लोटस’ यानी विधायकों को तोड़ने का लालच देने को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और छह महीने पुरानी सरकार को गिराने का इल्जाम लगाया. पार्टी ने दावा किया था कि उसके कम से कम 10 विधायकों से भाजपा ने संपर्क कर उन्हें 25 करोड़ रुपये की पेशकश की थी और ऐसा भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार को गिराने के लिए किया गया था.


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