दिसंबर का शुरुआती हफ़्ता, इतवार की सर्द रात, चैन से अपने अपने घरों में पूरा भोपाल सो रहा था कि तभी भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से जहरीली गैस रिसने लगी और पूरे भोपाल में धीरे-धीरे फैलने लगी. इस फैक्ट्री के आस-पास बस्तियां थी जहां दूर दराज से काम की तलाश में आए लोग रह रहे थे. फैक्टरी से जहरीली गैस के रिसाव ने सबसे पहले बस्ती के लोगों पर अपना कहर बरपाया. इस रात जहरीली हवा ने कई सोते हुए लोगों को अपना शिकार बनाया. उस रात वो हमेशा के लिए सोते रह गए. कुछ लोग हांफते-हांफते मर गए. जहरीली गैस जब लोगों के घर मे घुस रही थी, तब लोग हांफ कर बाहर भाग रहे थे. लेकिन बाहर के हालात और खराब थे. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. आखिर जाएं तो जाएं कहां ?  लोग सड़कों पर इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन इस तरह के हादसे के लिए कोई भी तैयार नहीं था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सबसे खतरनाक इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट 
भोपाल गैस त्रासदी की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट में की जाती है. सुप्रीम कोर्ट में पेश आंकड़े के अनुसार इस त्रासदी में करीब 15,724 लोग मारे गए थे, जबकि 5.74 लाख से ज़्यादा लोग घायल या अपंग हो गए थे. इस त्रासदी की रात के बाद सिर्फ दो दिनों में 50 हज़ार से ज़्यादा लोग अस्पताल पहुंचे थे. उस समय डॉक्टर को भी नहीं मालूम था कि मरीज़ का इलाज़ कैसे करना है . किसी की आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था, तो किसी का सर घूम रहा था. सांस लेने में तकलीफ तो लगभग सबको ही हो रही थी.  इसके अलावा हज़ारों लोग सड़क पर दम तोड़ चुके थे . 

कैसे हुआ था गैस रिसाव
जहरीली गैस का रिसाव 2 दिसंबर की देर रात शुरू हो गया था और तीन दिसंबर तक पूरे भोपाल में तांडव मचा चुका था.  ये रिसाव था भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से गैस मिथाइल आइसोसायनायड का था. पहले फैक्ट्री के प्लांट नंबर सी में टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड गैस के साथ पानी मिलना शुरू हुआ. इसके बाद हुए कैमिकल रिएक्शन के चलते दबाव से टैंक खुल गया और जहरीली गैस हवा में घुलना शुरू हो गई. 

कौन था गुनहगार एंडरसन 
इस घटना के समय इस फैक्टरी का सीईओ वारेन एंडरसन था. घटना की तीन साल तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस फैक्ट्री के सीईओ वारेन एंडरसन सहित यूनियन कार्बाइड के 11 अधिकारियों के खिलाफ अदालत में एक चार्जशीट दाखिल की थी. एंडरसन को भारत लाए जाने की मांग पर अदालती कार्यवाही हुई. लेकिन, कोई भी सरकार एंडरसन को भारत नहीं ला सकी. अब वारेन एंडरसन की मौत हो चुकी है.


अब भी दम घोंटती है उस रात की याद 
गैस पीड़ित और रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य आरक्षण अधीक्षक महेंद्रजीत सिंह (79) ने  पीटीआई-भाषा को बताया, ‘हादसे वाली दो दिसंबर की रात को मैं डर से कांप उठा. मैंने उस ठंडी रात में लोगों को मरते हुए देखा था.’ उस भयावह रात को याद करते हुए, सिंह ने कहा, ‘‘उस रात लगभग दो बजे मेरा परिवार सो रहा था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से कुछ ही दूरी पर स्थित रेलवे कॉलोनी में लोगों की चीख-पुकार ने हमें जगाया. हम घर से बाहर भागे और कारखाने से निकलने वाली गैस से बचने के लिए स्कूटर से और पैदल भागे." 
ऑल इंडिया रिटायर रेलवेमेन फेडरेशन वेस्टर्न ज़ोन के अध्यक्ष सिंह ने कहा, "उनके परिवार ने उनके घर से चार किमी दूर एक होटल में रात बिताई." कुछ साल बाद, सिंह ने अपनी मां और छोटे भाई को खो दिया, जो जहरीली गैस के संपर्क में आए थे. पूर्व रेलकर्मी ने कहा कि उन्होंने इस त्रासदी में अपने कई सहयोगियों को खो दिया है और जो बच गए, वे बीमारियों, विशेषकर सांस लेने की समस्याओं के साथ जी रहे हैं.