Bihar Caste Census 2023: पटना हाई कोर्ट ने राज्य में जाति आधारित गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं. हाई कोर्ट ने राज्य में जाति आधारित जणना का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.  मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सुनवाई के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए वकील ने कहा, "वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे."


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याचिकार्ता ने याचिका कहा गया था कि "बिहार सरकार के पास इस सर्वे को कराने का अधिकार नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्योरा लिया जा रहा है. ये गोपनीयता के अधिकार का हनन है."


इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने जाति अधारिक गणना पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जाति आधारित गणना बिहार में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया क्योंकि विपक्ष ने सरकार के कदम की आलोचना की.


जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में जाति आधारित गणना का पहला दौर 7 से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था. दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक जारी रहना था.


पटना हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाएं एक सामाजिक संगठन और कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थीं. जिन्होंने गणना पर रोक के रूप में 'अंतरिम राहत' के उनके अनुरोध को खारिज कर दिए जाने के बाद पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और उन्हें इस निर्देश के साथ हाईकोर्ट में वापस भेज दिया कि उनकी याचिका पर जल्द निर्णय लिया जाए.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "राज्य जाति जनगणना नहीं कर रहा हूं. बल्कि केवल लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा हूं. ताकि सरकार द्वारा उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए बेहतर कदम उठाए जा सकें.


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